काठमांडू। चौथे बिम्सटेक शिखर सम्मलेन की मेजबानी नेपाल कर रहा है। यह सम्मेलन 30-31 अगस्त को आयोजित होगा। इस सम्मलेन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग लेने कि उम्मीद है। इससे पहले मंगलवार को म्यांमार के राष्ट्रपति विन मिंट काठमांडू पहुंचे। यहां उनका स्वागत किया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह नई दिल्ली में एक सम्मलेन के दौरान बांग्लादेश, थाईलैंड और श्रीलंका द्वारा बंगाल की खाड़ी पहल के लिये बहु क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग की 'स्पष्टता' बढ़ाने की मांग की गई थी। साथ ही इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये एक जीवंत और संभावना से भरे हुए क्षेत्र के रूप में भी देखा गया।
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में ब्रिक्स आउटरीच फोरम में सदस्यों को आमंत्रित किये जाने से इसे काफी प्रोत्साहन प्राप्त हुआ था। भारत द्वारा आमंत्रण को एक संकेत के रूप में देखा गया कि वह दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के बदले इस समूह को वरीयता दे रहा है जिसकी प्रगति भारत झ्र पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण बाधित है। उल्लेखनीय है कि भारत ने अपने सैन्य प्रतिष्ठान पर आतंकवादी हमले के बाद वर्ष 2016 में पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मलेन से स्वयं को अलग कर लिया था।
1997 में हुआ था बिम्सटेक का गठन
बहु क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विम्सटेक का गठन 1997 में किया गया था। इसके सात सदस्य देश हैं- बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्याँमार, नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका। यहाँ विश्व की लगभग 22% आबादी या 1.6 अरब लोग निवास करते हैं जिनका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 2.8 खरब डॉलर है। उपर्युक्त प्रभावशाली आँकड़ों के बावजूद संगठन के पास पिछले इक्कीस वर्षों को उपलब्धि के रूप में अभिव्यक्त करने के लिये कुछ भी नहीं है। इस क्षेत्रीय मंच को आगे बढ़ाने के लिये इन सात देशों के नेताओं ने शिखर वार्ता के स्तर पर केवल तीन बार- 2004, 2008 और 2014 में बैठक आयोजित की ।