29 Mar 2024, 02:09:24 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

राष्ट्रव्यापी किसान हड़ताल के शुरू होने से पहले पीछे हटे कई संगठन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 31 2018 2:06PM | Updated Date: May 31 2018 2:07PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। देश के 22 राज्यों में 1 जून से लेकर 10 जून तक बड़े पैमाने पर किसान हड़ताल होने वाली है, लेकिन राज्य के विभिन्न किसानों के समूह जिन्होंने पिछले साल हड़ताल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उन्होंने 1 जून को शुरू होने वाली राष्ट्रव्यापी किसान की हड़ताल से दूर रहने का फैसला किया है।
 
ये हड़ताल अखिल भारतीय ने बुलाई है, किसान सभा के संयोजक शिवकुमार शर्मा ने किसानों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि 40 प्रमुख शहरों में दूध और ताजा उपज की आपूर्ति बाधित हो गई है, उन्होंने कहा कि हम सरकार पर मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाएंगे। किसानों की मांगों में एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के साथ-साथ पूर्ण रूप से ऋण में छूट की मांग की शामिल है। हालांकि, हड़ताल से कुछ दिन पहले, नासिक, अहमदनगर और पुणे के किसानों के समूह ने घोषणा की है कि वे हड़ताल में भाग नहीं लेंगे। जुन्नार जिला टमाटर ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक भिसे ने कहा कि इस तरह की हड़तालों से किसानों को और भी वित्तीय नुकसान होता है। 
 
उन्होंने कहा कि पिछले साल, किसानों ने हड़ताल के कारण भारी नुकसान उठाया था, जिसे कुछ नेताओं ने तबाह कर दिया था, हम अपने नुकसान को दोहराना नहीं चाहते हैं। भिसे ने कहा कि महाराष्ट्र के ज्यादातर किसान मानसून का इंतेजार कर रहें ताकि वह बुवाई का संचालन शुरू कर सकें।नासिक के स्वाभिमानी शेतकारी संघटन के एक नेता हंसराज वाडघुले ने कहा कि वे हड़ताल में भाग नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले साल किसानों के खिलाफ 3,000 से ज्यादा मामले दायर किए गए थे और उन्हें अभी वापस लेना बाकी है। हम इस साल की हड़ताल में किसानों को शामिल नहीं करना चाहते हैं। पिछले साल सात दिन की हड़ताल शेतकारी सम्पा के दौरान, किसानों ने शहरी बाजारों में दूध और सब्जियों की आपूर्ति बंद कर दी थी।
 
हालांकि, हड़ताल के एक दिन के भीतर, किसानों के नेताओं के एक वर्ग ने सरकार के साथ देर रात की वार्ता के बाद इसे बंद करने की कोशिश की थी। लेकिन नासिक, अहमदनगर और पुणे के किसानों ने इसे वापस लेने से इनकार कर दिया था। अंतत: सरकार ने किसानों की मांगों पर सहमति व्यक्त की और 30,000 करोड़ रुपये की ऋण छूट की घोषणा की।हड़ताल की शुरूआत अहमदनगर के राहता तालुका के पुंटम्बा गांव में हुई थी, जहां ग्रामीणों ने ग्रामसभा में एक प्रस्ताव पारित कर हड़ताल की मांग की थी।
 
बाद में हड़ताल में पूरे राज्य के हजारों किसान शामिल हो गए थे। हालांकि, पुंटम्बा गांव के सरपंच डॉ. धनजय धनवते ने कहा कि गांव के निवासी इस वर्ष की हड़ताल में भाग नहीं लेंगे। आॅल इंडिया किसान सभा द्वारा बुलाए जाने वाली हड़ताल में कई समूहों के शामिल न होने पर इस हड़ताल के आयोजकों का कहना है कि महाराष्ट्र के कुछ किसान नेताओं ने हड़ताल का विरोध किया है, लेकिन हम कुछ ऐसे किसान हैं कि इसका समर्थन करेंगे।
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »