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किताब में सिख गुरुओं को 'गोभक्त' बताने पर विवाद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 15 2018 3:16PM | Updated Date: May 15 2018 3:19PM
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पटियाला। पंजाब एजुकेशन बोर्ड की किताबों में सिख धर्म और इसके गुरुओं से जुड़े इतिहास के साथ कथित छेड़छाड़ का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि एक दूसरी किताब को लेकर विवाद हो गया। इस किताब के एक पाठ में सिख गुरु को 'गोभक्त' और 'हिंदू' करार दिया गया है। नागपुर के एक पब्लिशर द्वारा छपी इस किताब की बातों पर सिखों की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। यूनाइटेड सिख मूवमेंट और लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी जैसे सिख संगठनों ने इस आपत्तिजनक किताब के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ करार दिया है क्योंकि पब्लिशर का अड्रेस और संघ का मुख्यालय दोनों ही नागपुर में है। 
 
विवादित किताब का हिस्सा
लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा अब किताब पर प्रतिबंध के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का रुख करेंगे। वहीं आरएसएस के एक वर्कर ने किताबों के पब्लिशर के साथ किसी तरह के कनेक्शन से इनकार किया है। सिरसा ने कहा, 'किताब में यह दर्शाया गया है कि सिख गुरु अपने मूल्यों की बजाय देश के लिए लड़ रहे थे। इसमें राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर ही फोकस किया गया है।
 
एक किताब में लिखा है कि जहांगीर ने पांचवें सिख गुरु अर्जुन देव पर अत्याचार के समय सैनिकों को आदेश दिया कि उन्हें एक गाय के नीचे लिटा दिया जाए। इसके बाद गोहत्या कर दी गई।' इसी तरह 'गुरु तेग बहादुर' शीर्षक वाली एक किताब में गुरु को गोभक्त बताते हुए लिखा है कि उन्होंने रावी नदी में डुबकी लगाने की इच्छा जाहिर की थी। उसी किताब में नौवें गुरु (गुरु तेग बहादुर) की शहादत को पूरे हिंदू धर्म की शहादत के तौर पर दर्शाया गया है। 
 
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