16 Apr 2024, 19:26:56 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

जल संरक्षण बन रहा जनभागीदारी : PM मोदी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 26 2020 7:18PM | Updated Date: Jan 26 2020 7:18PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा  है कि जल संरक्षण को लेकर देश भर में व्यापक प्रयास एक आंदोलन का रूप ले रहा है और इसमें जन भागीदारी के कारण कई राज्यों में जल संकट का समाधान मिलना प्रारंभ हो गया है। मोदी ने इस साल के अपने पहले मासिक मन की बात कार्यक्रम में कहा कि स्वच्छता के बाद जन-भागीदारी की भावना आज एक और क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही है और वह है ‘जल संरक्षण’। ‘जल संरक्षण’ के लिए कईं व्यापक और नये प्रयास देश के हर कोने में चल रहे हैं। पिछले मानसून में शुरू किया गया जल संरक्षण अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। इसमें समाज के हर वर्ग ने अपना योगदान दिया। राजस्थान के झालोर जिले की दो ऐतिहासिक बावड़ियां कूड़े और गन्दे पानी का भण्डार बन गयी थी। भद्रायुं और थानवाला पंचायत के सैकड़ों लोगों ने ‘जलशक्ति अभियान’ के तहत इन्हें पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया। बारिश से पहले ही वे लोग, इन बावड़ियों में जमे हुए गंदे पानी, कूड़े और कीचड़ को साफ करने में जुट गये।

इस अभियान के लिए किसी ने श्रमदान किया, तो किसी ने धन का दान और इसका परिणाम है कि ये बावड़ियां आज वहां की जीवन रेखा बन गई है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी ही कहानी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की है। यहां 43 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली सराही झील अपनी अंतिम सांसे गिन रही थी लेकिन, ग्रामीणों ने अपनी संकल्प शक्ति से इसमें नई जान डाल दी। इतने बड़े मिशन के रास्ते में इन्होंने किसी भी कमी को आड़े नहीं आने दिया। एक-के-बाद एक कई गाँव आपस में जुड़ते चले गए। इन्होंने झील के चारों ओर, एक मीटर ऊँचा तटबन्ध बना डाला। अब झील पानी से लबालब है और आस-पास का वातावरण पक्षियों के कलरव से गूंज रहा है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा से भी ऐसी ही कहानी है।

हल्द्वानी हाइवे से सटे ‘सुनियाकोट गाँव’ से भी जन-भागीदारी का एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है। गाँव वालों ने जल संकट से निपटने के लिए खुद ही गाँव तक पानी लाने का संकल्प लिया। लोगों ने आपस में पैसे इक्कठे किये, योजना बनी, श्रमदान हुआ और करीब एक किलोमीटर दूर से गाँव तक पाईप बिछाई गई। पपिंग स्टेशन लगाया गया और फिर देखते ही देखते दो दशक पुरानी समस्या हमेशा-हमेशा के लिये खत्म हो गई। वहीं, तमिलनाडु से बोरवेल को जल संचयन का जरिया बनाने का बहुत ही नया तरीका सामने आया है। देशभर में ‘जल संरक्षण’ से जुड़ी ऐसी अनगिनत कहानियां हैं, जो नये भारत के संकल्पों को बल दे रही हैं। गणतंत्र दिवस समारोह की वजह से इस रविवार को प्रधानमंत्री के रेडियो कार्यक्रम के समय में बदलाव किया गया है। सुबह 11 बजे के बजाय शाम 6 बजे मन की बात कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

 
 
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »