नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने को संविधान के अनुरूप बताते हुए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का बचाव किया और विपक्ष को छह माह के भीतर बहुमत हासिल कर सरकार बनाने का दावा पेश करने की चुनौती दी। शाह ने बुधवार को महाराष्ट्र की सियासी उठापटक पर पहली बार चुप्पी तोड़ते हुये कहा, ‘‘ महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता इसलिए भी पड़ी कहीं विपक्ष ये आरोप ना लगाए कि राज्यपाल भाजपा की अस्थायी सरकार को चला रहे हैं। अब सबके पास छह महीने का समय है अगर किसी के पास बहुमत है तो राज्यपाल से मिल ले।’’
शाह ने कोश्यारी का बचाव करते हुए कई ट्वीट कर कहा,‘‘ एक संवैधानिक पद (राज्यपाल) को इस तरह राजनीति में घसीटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। महाराष्ट्र में राज्यपाल जी ने सभी को पूरा समय दिया। लगभग 18 दिन का समय दिया गया पर कोई भी बहुमत साबित नहीं कर पाया।’’ गौरतलब है कि श्री कोश्यारी की सिफारिश पर महाराष्ट्र में मंगलवार को छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इस दौरान विधानसभा निलंबित रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा,‘‘राज्यपाल जी द्वारा न्योता तब दिया गया जब नौ नवंबर को विधानसभा की अवधी समाप्त हो गयी। आज भी अगर किसी के पास बहुमत है तो वो राज्यपाल से मिल कर दावा कर सकता है।’’
शाह ने इस मामले में विपक्ष पर हमला करते हुए कहा,‘‘महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर विपक्ष की प्रतिक्रिया सिर्फ कोरी राजनीति है। राज्यपाल जी द्वारा कहीं भी संविधान को तोड़ा-मरोड़ा नहीं गया। दोपहर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा पत्र लिखकर रात आठ बजे तक सरकार बनाने में असमर्थता जताने के बाद ही राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लगाया है।’’ उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिव सेना (61) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाली भाजपा (105) का अपने सहयोगी से सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर उभरे मतभेद के बाद सरकार बनाने का दावा करने से इंकार करने के बाद राज्यपाल ने पहले शिव सेना और बाद में राकांपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन निर्धारित समय में इन दलों की ओर से समर्थन नहीं पेश किये जाने के बाद कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी। शिव सेना और राकांपा कांग्रेस (44) के समर्थन के सहारे सत्ता पर काबिज होना चाहती है।