नई दिल्ली। दीवाली पर हर साल होने वाले प्रदूषण को ध्यान में रखते सुप्रीम कोर्ट ने इस बार सख्त रुख अपनाया है। दिवाली इस बार 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी। लेकिन कुछ लोगों ने अभी से पटाखे छुड़ाने शुरू कर दिए हैं। यही वजह है कि वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दीपावली के मौके पर पटाखों की बिक्री से संबंधित एक फैसले के दौरान ग्रीन पटाखों का ज़िक्र किया था।
कोर्ट ने मशविरा दिया था कि त्योहारों पर कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे और जलाए जाने चाहिए। आपको बता दें कि इन ग्रीन पटाखों की खोज भारतीय संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ( नीरी ) ने की है। दुनियाभर में इन्हें प्रदूषण से निपटने के एक बेहतर तरीके की तरह देखा जा रहा है।
क्या हैं ग्रीन पटाखे
ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज के मामले में ट्रडिशनल पटाखों जैसे ही होते हैं, लेकिन इन्हें जलाने पर पलूशन 30-40 फीसदी तक कम होता है। खास बात यह है कि ये पटाखे सिर्फ हमारे देश में ही तैयार किए गए हैं, दूसरे किसी देश में ये नहीं मिलते। इन पटाखों को नैशनल इन्वाइरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (NEERI) ने तैयार किया है। जहां आम पटाखों को जलाने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली नाइट्रोजन और सल्फर जैसी गैसें ज्यादा निकलती हैं, वहीं ग्रीन पटाखों में ये कम मात्रा में निकलती हैं। इससे इन्वाइनमेंट को नुकसान कम पहुंचता है।
कैसे पहचानें इन पटाखों को
- इनके पैकेट पर QR कोड और स्टिकर होता है।
- इनमें सल्फर की गंध नहीं होती।