नई दिल्ली। केरल, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे सम्पन्न माने जाने वाले राज्यों में तथा कथित बीमारू राज्यों - बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश - से ज्यादा बेरोजगारी है। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वार्षिक सामयिक श्रमबल सर्वेक्षण के अनुसार, 2017-18 में देश में बेरोजगारी छह प्रतिशत थी और सबसे कम 0.4 प्रतिशत बेरोजगारी दादर एवं नागर हवेली में तथा सबसे ज्यादा 21.4 प्रतिशत नगालैंड में थी। उन्होंने बताया कि सबसे कम बेरोजगारी वाले पाँच राज्य क्रमश: दादर एवं नागर हवेली (0.4 प्रतिशत), मेघालय (1.6 प्रतिशत), दमन एवं द्वीव (3.1 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (3.3 प्रतिशत) और सिक्किम (3.5 प्रतिशत) हैं।
नगालैंड में सर्वाधिक 21.4 प्रतिशत बेरोजगारी है। इसके बाद लक्षद्वीप में 21.3 प्रतिशत, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 15.8 प्रतिशत, गोवा में 13.9 प्रतिशत और मणिपुर में 11.5 प्रतिशत बेरोजगारी है।
खास बात यह है कि बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बेरोजगारी का स्तर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और केरल से कम है। दस प्रतिशत से ज्यादा बेरोजगारी वाले राज्यों की सूची में केरल में 11.4 प्रतिशत, पुडुचेरी में 10.3 प्रतिशत और मिजोरम में 10.1 प्रतिशत बेरोजगारी है।
इनके अलावा दिल्ली (9.4 प्रतिशत), चंडीगढ़ (नौ प्रतिशत), हरियाणा (8.4 प्रतिशत), असम (7.9 प्रतिशत), पंजाब (7.7 प्रतिशत), तेलंगाना (7.6 प्रतिशत), उत्तराखंड (7.6 प्रतिशत), तमिलनाडु (7.5 प्रतिशत), झारखंड (7.5 प्रतिशत), ओडिशा (7.1 प्रतिशत), बिहार (सात प्रतिशत), त्रिपुरा (6.8 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (6.2 प्रतिशत) राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बेरोजगारी वाले राज्यों में शामिल हैं।
अन्य राज्यों में राष्ट्रीय औसत से कम बेरोजगारी है। इनमें राजस्थान (पाँच प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (4.6 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (4.3 प्रतिशत) शामिल हैं। राष्ट्रीय औसत से बेहतर रोजगार के आँकड़े वाले अन्य राज्य आँध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और महाराष्ट्र शामिल हैं।