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दुनिया का सबसे खतरनाक अभियान था डेयर डेविल्स अभियान: आईटीबीपी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 9 2019 1:05AM | Updated Date: Jul 9 2019 1:05AM
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नई दिल्ली। उत्तराखंड में नंदा देवी अभियान के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आये आठ पर्वतारोहियों का पता लगाने के लिये चलाये गये डेयर डेविल्स अभियान को भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की ओर से दुनिया का सबसे खतरनाक एवं बेहद मुश्किल अभियान बताया गया है। आईटीबीपी की ओर से इस बेहद मुश्किल अभियान को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने के लिये जवानों को सोमवार को पुरस्कृत किया गया। आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल की ओर से नई दिल्ली स्थित आईटीबीपी के मुख्यालय में एक सादे समारोह में जवानों को सम्मानित किया गया और संवाददाताओं को इस बेहद मुश्किल अभियान की जानकारी दी गयी।

उन्होंने कहा कि हिमस्खलन की चपेट में आने से पहले अभियान पर गये आठ पर्वतारोहियों की ओर से बर्फ से लदी हिमालय की चोटी का बेहद आकर्षक फिल्मांकन किया गया था। आईटीबीपी के जवानों को पर्वतारोहियों के पास से यह फिल्म मिली है जिसे महानिदेशक एसएस देशवाल ने प्रेस को जारी की। उन्होंने बताया कि पर्वतारोहियों की ओर से इस फिल्म का निर्माण हिमस्खलन की चपेट में आने से पहले संभवत: 26 मई को किया गया। इसमें दर्शाया गया है कि पर्वतारोही किस प्रकार अभियान की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और चोटी को फतह करने के बाद बेहद खूबसूरत पलों को अपने कैमरे में याद कर रहे हैं।

दूसरी ओर इस अभियान पर प्रकाश डालते हुए देशवाल ने बताया कि पर्वतारोहियों का पता लगाने के लिये आईटीबीपी के जवानों की ओर से चलाया गया अभियान डेयर डेविल्स दुनिया का सबसे मुश्किल एवं खतरनाक अभियान है। आईटीबीपी के पर्वतारोहियों ने 500 घंटे के बेहद मुश्किल क्षणों को पार कर सफलतापूर्वक इस अभियान को सम्पन्न किया। आईटीबीपी की ओर से 20 हजार फुट की ऊंचाई पर चलाये जाने वाले इस अभियान की कामयाबी के लिये जवानों को सम्मानित किया गया और उनके हौसला और जज्बे को सलाम किया। इस मौके पर आईटीबीपी के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

जिन जवानों को पुरस्कृत किया गया उनमें टीम लीडर रतन सिंह सोनल, अनूप नेगी, हेमंत गोस्वामी, प्रदीप पंवार, कलम सिंह, कपिल देव, भारतलाल, जय प्रकाश सिंह, संजय सिंह, सुरेन्द्र सिंह के अलावा सहायक कर्मी धीरेन्द्र प्रताप, देवेन्द्र सिंह, मनजीत सिंह व भाग्यशाली मीणा शामिल हैं। देशवाल ने कहा कि आईटीबीपी की ओर से संचालित इस अभियान में उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश समेत पांच पर्वतीय राज्यों के जवान शामिल थे। देशवाल ने इस मौके पर जवानों की हौसलाअफजाई की और कहा उन्हें जवानों पर हमें गर्व है।

उन्होंने डेयर डेविल्स अभियान का अब तक का अनूठा अभियान बताते हुए कहा कि यह अभियान विषम भौगोलिक परिस्थितियों के साथ-साथ दुनिया की सबसे ऊंचाई वाले इलाके में लगातार 500 घंटों तक चलाया गया है। साथ ही सभी पर्वतारोहियों के शवों को सम्मानपूर्वक वापस लाने में बेहद सावधानी के साथ-साथ जवानों द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया गया। यह अभियान पर्वतारोहण के इतिहास में मील का पत्थर के रूप में याद किया जायेगा। इस अभियान के तहत आईटीबीपी के ने दो जून को चार ब्रिटिश पर्वतारोहियों को बचाया गया था। उन्होंने कहा कि लापता पर्वतारोहियों की खोज अभियान 14 जून से चलाया गया। 23 जून को सात पर्वतारोहियों के शवों को खोज निकाला गया। बेहद खराब मौसम एवं विपरीत परिस्थितियों के चलते आठवें पर्वतारोही का पता नहीं लगाया जा सका।

उन्होंने आगे कहा कि चार शवों को अथक प्रयास के बाद 18800 फुट की ऊंचाई पर ले जाया गया। इसके बाद सभी सात शवों को 15250 फीट की ऊंचाई पर बनाये गये कैम्प पर लाया गया। तीन जुलाई को सभी शवों को नौ सेना के सहयोग से पिथौरागढ़ लाया गया। पिथौरागढ़ में जिला प्रशासन की ओर से सभी शवों को पंचनामा भरकर हल्द्वानी मेडिकल कालेज भेज दिया गया था। इसके साथ ही जिला प्रशासन की ओर से केन्द्र सरकार की ओर से भी मामले की जानकारी दे दी गयी थी। उल्लेखनीय है कि विदेशी पर्वतारोहियों का एक दल 13 मई को नंदा देवी के अभियान पर गया था। इस दल में एक भारतीय समेत कुल 12 पर्वतारोही शामिल थे। इनमें ब्रिटिश, अमेरिका और आस्ट्रेलिया के पर्वतारोहियों के अलावा एक भारतीय लाइजनिंग आफिसर चेतन पांडे शामिल थे। 26 मई को आठ पर्वतारोही लापता हो गये थे और चार को पर्वतारोही सुरक्षित बच गये थे।

 
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