नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ऊर्जा और पर्यावरण को महत्त्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए वैज्ञानिकों से खनन की पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकी विकसित करने की अपील की है। कोविंद ने यहाँ विज्ञान भवन में ‘ऊर्जा एवं पर्यावरण चुनौतियाँ एवं अवसर’ विषय पर बुधवार को शुरू हुए तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर यह बात कही। उन्होंने कहा तेज प्रौद्योगिकी विकास के इस दौर में ऊर्जा और पर्यावरण, विकासशील ही नहीं विकसित देशों के लिए भी बड़े मुद्दे हैं। निकट भविष्य में भारत समेत अधिकतर देशों के लिए कोयला ऊर्जा का मुख्य स्रोत बना रहेगा, लेकिन नवीकरणीय स्रोतों की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी।
इस सम्मेलन का आयोजन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) की प्रयोगशाला केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिम्फर) द्वारा किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत ने वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में वर्ष 2005 की तुलना में 33 से 35 प्रतिशत तक की कमी लाने, बिजली क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने और वन एवं पेड़ लगाकर कार्बन अवशोषण बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है।
उन्होंने सम्मेलन में आये वैज्ञानिकों से इसे ध्यान में रखते हुए खान की पर्यावरण अनुकूल स्वच्छ-प्रौद्योगिकी विकसित करने का आहृान किया। उन्होंने कहा पारंपरिक ऊर्जा के उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं के लिए ज्यादा सक्षम तथा स्वच्छ प्रक्रियाओं की खोज महत्त्वपूर्ण है ताकि प्राकृतिक संसाधनों का पर्यावरण के अनुकूल दोहन सुनिश्चित हो सके।