नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्षी दलों ने तीन तलाक को असंवैधानिक तथा अपराध बनाने वाले विधेयक को संविधान के खिलाफ बताते हुये सरकार पर इसे जल्दबाजी में पेश करने का आरोप लगाया तथा कहा कि विधेयक को मजबूत बनाने के लिए इसे प्रवर समिति को सौंपा जाना चाहिए।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए रिवॉल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन.के. प्रेमचंद्रन ने कहा कि विधेयक असंवैधानिक तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक पहले लोकसभा में 2017 में पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा में इसे पारित नहीं किया जा सका तो सरकार अध्यादेश के जरिये इसे फिर से लोकसभा में लायी है जो असंवैधानिक है।
उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक को जल्दबाजी में लायी है। इसके लिए अध्यादेश लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। पिछली बार इस पर व्यापक चर्चा हुई है। नियम 167 में व्यवस्था है कि यदि कोई विधेयक एक बार पारित हो गया है तो वह सदन में वापस नहीं लाया जाता है, लेकिन इस सरकार ने गैर-संवैधानिक काम कर इस विधेयक को फिर सदन में पेश किया है। इसके बावजूद, पहले इस पर चर्चा के दौरान जो सुझाव दिये गये थे उन्हें विधेयक में शामिल नहीं किया गया है।
प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक में की गयी व्यवस्था के अनुसार, पति तीन साल तक जेल में रहेगा। तो सवाल यह है कि वह पत्नी को गुजारे की राशि कैसे देगा। उन्होंने कहा कि विधेयक जल्दबाजी में तैयार किया गया है, इसलिए इसमें इस तरह की बहुत खामियाँ हैं। इसलिए, विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा जाना चाहिये।