नई दिल्ली। जनवेदना कार्यक्रम में राहुल गांधी ने जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला वो राहुल के बदलाव को बताता है। दरअसल नोटबंदी के बाद से विपक्ष और खासकर राहुल गांधी बहुत मुखर हुए हैं। वे लगातार मोदी पर हमला बोल रहे हैं।
जनवेदना के जरिए भी वे एक तरीके से मोदी की नीतियों से जनता को हुई वेदना और दर्द को ही सामने रख रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने पद्मासन सीखा नहीं और करने लगे योग। अब गलत तरीके से योग करेंगे तो हड्डी टूटेगी ही। ये राहुल गांधी का अब तक का मोदी
पर सबसे बड़ा और गंभीर हमला है।
जाहिर है राहुल यह कहना चाह रहे है, की नोटबंदी के नफे, नुकसान का आकलन किए बिना मोदी ने इसे लागू कर दिया। मोदी के इस बिना पद्मासन के नोटबंदी योगा ने देश की रीढ़ तोड़ दी। उन्होंने यहां तक कहा कि नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत किसी की नहीं सुन रहे बस अपनी मनमानी से फैसले कर रहे हैं। मोदीजी ने अपनी मर्जी के होम मेड इकोनॉमिस्ट भी तैयार कर लिए है।
राहुल बोले बाबा रामदेव और संघ के लोग जब इकोनॉमिस्ट होंगे तो सोचिए क्या होगा देश की अर्थव्यवस्था का। राहुल ने एक कदम आगे बढ़कर कहा कि एक अंग्रेजी अखबार के कार्यक्रम में मुझे दुनिया को नोटबंदी का आईडिया देने वाला इकोनॉमिस्ट मिले और बोले मैंने मोदी को नोटबंदी जिस तरह से करने को कहा था वैसा तो उन्होंने किया ही नहीं।
नोटबंदी से परेशान देश, एकजुट होता विपक्ष और राहुल गांधी के धारदार होते हमले मोदी को बैकफुट पर ला सकते हैं। वैसे भी जनता को नोटबंदी के पहले जितना कालाधन को लेकर मोदी पर भरोसा था वो अब नहीं दिखता। जनता ये मानती थी की मोदी कालाधन बाहर लाएंगे। गरीबों को भला होगा पर ऐसा कुछ होता दिख नहीं रहा।
राजनीतिक दलों को बेहिसाब धन जमा करवाने की छूट और बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफी ने जनता की वेदना को बढाया है। अब नोटबंदी कालाधन बाहर लाने और अच्छे दिन के बजाय सिर्फ कैशलेस इकोनॉमी अभियान बनकर रह गया है। राहुल का ये आक्रमण कहीं भविष्य में मोदी को " शीर्षासन" न करवा दे।