नई दिल्ली। आम चुनाव से पहले घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट से भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। चालू सप्ताह के दौरान सप्ताह में जारी सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि घरेलू बाजार में थोक और खुदरा महंगाई बढ़ रही है जबकि दूसरी ओर कारखानों का उत्पादन घट रहा है। इन दोनों सूचकांक का संबंध में आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी है। औद्योगिक उत्पादन घटने का तात्पर्य है कि कारखानों में उनकी क्षमताओं के अनुसार उत्पादन नहीं हो रहा है और रोजगार के अवसर घट रहे हैं।
मुद्रास्फीति के आंकड़े घरेलू बाजार में माल की मांग और आपूर्ति का संकेत देते हैं। लोकसभा चुनावों की अधिसूचना जारी हो चुकी है और देश में 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में मतदान होगा। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों के लिए बढ़ती महंगाई और रोजगार के घटते अवसर प्रमुख मुद्दे हैं जबकि सत्तारूढ़ भाजपा महंगाई नियंत्रण में होने और रोजगार बढ़ने के दावे करती हैं। महंगाई और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े हालांकि सरकार के दावों को खारिज करते हैं।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों में कहा गया है कि फरवरी 2019 में थोक मूल्यों पर आधारित थोक मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 2.93 प्रतिशत हो गई है जबकि इससे पिछले महीने यह आंकड़ा 2.76 प्रतिशत पर रहा था। पिछले वर्ष के इसी माह में थोक मुद्रास्फीति की दर 2.74 पर रही थी। चालू वित्त वर्ष में बिल्ड अप थोक मुद्रास्फीति की दर 2.56 प्रतिशत से बढ़कर 2.75 प्रतिशत दर्ज की गई है।