नई दिल्ली। रणनीतिक और रक्षा समझौतों से लेकर कॉम्बैट एक्सरसाइज में भी भारत अमेरिका और रूस के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है। विरोधी संतुलन के साथ, भारत तीसरी बड़ी शक्ति चीन के साथ भी सैन्य संबंधों में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है।
सेना के एक सीनियर सेना अधिकारी ने बताया, भारत रक्षा कूटनीति के मामले में देर से शुरुआत करने वाला रहा है, लेकिन अब बजट, ब्यूरोक्रेटिक और अन्य कमियों से जूझने के बावजूद इस दिशा में हर संभव कोशिश कर रहा है। उदाहरण के लिए, भारतीय नौसेना के युद्धपोतों ने 113 विदेशी बंदरगाहों तक अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और 16 देशों की नौसेनाओं के साथ युद्धाभ्यास/पट्रोलिंग की।
जहां रूस और अमेरिका के साथ भारत कई बार युद्धाभ्यास कर चुका है, वहीं अब डोकलाम विवाद के बाद ठंडे बस्ते में चले गए सैन्य संबंधों को फिर से सक्रिय करने की कोशिश की जा रही है। लंबे समय के बाद भारत और चीन के बीच वहां के चेंगदु मिलिटरी रीजन में 10 से 23 दिसंबर के बीच युद्धाभ्यास होगा।