नई दिल्ली। सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और उसके स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को उनके सभी अधिकारों से हटाते हुए आधी रात को छुट्टी पर भेजने के सरकार के आदेश के दस दिन बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अवैध, मनमाने, दंडित करनेवाले और बिना अधिकारक्षेत्र के की गई है। खड़गे ने अपनी याचिका में कहा कि सीबीआई चीफ को चुने जाने वाली तीन सदस्यीय समिति में होने के नाते कोर्ट को किसी भी तरह का आदेश देने से पहले उन्हें सुना जाना चाहिए। सीबीआई चीफ को जो समिति चुनती है उसमें प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के साथ ही, विपक्ष का नेता भी शामिल होता है।
कार्यकाल सुरक्षित होता है
कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल निश्चित और शर्तें पूरी तरह सुरक्षित हैं और यहां तक कि पिछली समिति की सहमति के उनका ट्रांसफर आदेश भी लागू नहीं किया जा सकता है। खड़गे ने कहा कि भारत की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी की पवित्रता और मयार्दा की रक्षा करना यह देश और आम लोगों के हित में था। सीबीआई के आंतरिक विवादों के चलते डायरेक्टर आलोक वर्मा और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना को 24 अक्टूबर को तड़के ढाई बजे सभी अधिकार वापस लेते हुए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया। उनकी जगह पर एम. नागेश्वर राव को एजेंसी का अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त किया गया।