नई दिल्ली। बीते 17 अक्टूबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अपनी पत्नी के साथ असम के मशहूर कामाख्या देवी मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। लेकिन उसी दौरान मंदिर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सवार्नंद सोनोवाल भी दर्शन कर रहे थे। चीफ जस्टिस ने कथित तौर पर दुर्गाष्टमी जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर भीड़ प्रबंधन में बदइंतजामी पर पुलिस अधिकारियों से नाराजगी जताई। खबरों के मुताबिक, इस घटना के बाद तीन वरिष्ठ अधिकारियों, जिनकी वजह से मुख्य न्यायाधीश गोेगाई को असुविधा हुई थी, उन्हें दुर्व्यवहार, प्रोटोकॉल और सुरक्षा में चूक के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
सरकारी नोट के मुताबिक, निलंबित होने वाले अधिकारियों में से एक अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर पुलक महंता पर आरोप है कि वह गार्ड आॅफ आॅनर दिए बगैर चीफ जस्टिस की वीवीआईपी कार तक पहुंच गए थे। डिप्टी कमिश्नर भंवर लाल मीणा और अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर प्रशांत प्रतिम कठकोटिया को सुरक्षा इंतजामों में चूक के कारण निलंबित किया गया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने राज्य की भाजपा सरकार पर चापलूसी का आरोप लगाया है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, चीफ जस्टिस गोगोई मंदिर के बाहर इंतजार करते रहे जबकि राजनीतिक हस्तियों को अंदर दर्शन करवाए जा रहे थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उस दिन प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर दुर्गा पूजा के लिए सिर्फ तीन घंटे ही खोला जाता है। सारी भीड़ को उसी वक्त में ही मंदिर में दर्शन करने होते हैं। इस दौरान वहां भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को देखने के लिए भी बड़ी तादाद में लोग आए हुए थे। इसी वजह से चीफ जस्टिस को मौके पर देर तक इंतजार करना पड़ा।
गलत प्राथमिकताओं के कारण पुलिस अधिकारियों को निशाना बनाया
देबब्रत सैकिया असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। सैकिया ने कहा, ये वाकया भाजपा नेताओं की अपने राजनीतिक आकाओं को खुश रखने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। उनका आरोप है कि गलत प्राथमिकताओं के कारण ही पुलिस अधिकारियों को निशाना बनाया गया है। कांग्रेस नेता ने चीफ जस्टिस के प्रोटोकॉल की तरफ इशारा किया। ये प्रोटोकॉल किसी भी राजनीतिक शख्सियत से बड़ा होता है। लेकिन राज्य सरकार ने इसे तरजीह नहीं दी। उन्होंने मांग की निलंबित अधिकारियों को दोबारा बहाल कर दिया जाए।