नई दिल्ली। शिवसेना ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का विरोध किया है। शिवसेना ने इस फैसले के खिलाफ 1 अक्टूबर को केरल में 12 घंटे की हड़ताल बुलाई है। शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सैकड़ों वर्षों से चली आ रही रोक को हटा दिया है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय (जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा) संविधान पीठ ने आठ दिनों तक सुनवाई करने के बाद एक अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने सहमति से अपना फैसला सुनाया है। चारों जजों ने अपने फैसले में मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी है। जबकि जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने चार जजों के फैसले पर अपनी असहमति जताई। जस्टिस मल्होत्रा ने कहा कि याचिका देखे जाने योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश में पूजा-पाठ की अन्य पद्धतियों पर असर डालेगा।
सबरीमाला मंदिर भारत ही ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध है। हर वर्ष यहां करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी थी। इस जवाब पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि यह कैसे तय होगा कि 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाएं ही मासिक धर्म की प्रक्रिया से गुजरती हैं। 9 साल या 51 साल की महिला को भी मासिक धर्म हो सकते हैं। मंदिर प्रशासन का तर्क था कि यह परंपरा इसलिए है क्योंकि यह भगवान अयप्पा का मंदिर है और वो उम्र भर अविवाहित थे।