नई दिल्ली। हिंसक भीड़ से निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने कहा है कि मामले में तुरंत कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इसलिए, वो इस बात का इंतजार नहीं करेगा कि सरकार जरूरी कानून बनाए। कोडंगलूर फिल्म सोसाइटी नाम की संस्था ने फिल्म का प्रदर्शन रुकवाने के लिए धमकी और तोड़फोड़ का मसला उठाया था।
याचिकाकर्ता की मांग थी कि कोर्ट सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान के मामले में अपने पुराने आदेश को सख्ती से लागू करवाए। 2009 में दिए आदेश में कोर्ट ने कहा था कि बंद या आंदोलन के दौरान संपत्ति को हुआ नुकसान उसके आयोजकों से वसूला जाए। इसके अलावा याचिकाकर्ता की मांग थी फिल्म दिखाने के खिलाफ धमकी देने वाले संगठन से थिएटर को सुरक्षा देने में हुए खर्च की वसूली की जाए। तोड़फोड़ करने वालों को जमानत पर रिहा करने से पहले नुकसान के बराबर की रकम जमा करवाई जाए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से इस मसले पर सलाह मांगी थी। आज एटॉर्नी जनरल ने याचिकाकर्ता का समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि मसला सिर्फ फिल्मों का नहीं है। देश में हर हफ्ते कहीं न कहीं किसी मसले पर उत्पात होता है। पुलिस और उपद्रवियों की जवाबदेही तय करनी जरूरी है।वेणुगोपाल ने कावंड़ियों के उत्पात से लेकर मराठा आरक्षण, एससी/एसटी आंदोलन समेत तमाम मसले कोर्ट के सामने रखे। उन्होंने कहा कि हाल ही में दिल्ली में कावंड़ियों ने एक गाड़ी को पलट दिया। उसे तोड़-फोड़ डाला। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन या उत्तर भारत में अनुसूचित जातियों के आंदोलन में जो हुआ वो चिंताजनक है।
धमकी देने वालों पर कार्रवाई नहीं होती
एटॉर्नी जनरल ने बिना नाम लिए फिल्म पद्मावत की रिलीज से पहले दीपिका पादुकोण को मिली धमकी का भी हवाला दिया। कहा- "एक अभिनेत्री को धमकी दी गयी कि उसकी नाक काट दी जाएगी। इसके लिए ईनाम की भी घोषणा की गई। लेकिन धमकी देने वाले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।चीफ जस्टिस ने इन चिंताओं से सहमति जताते हुए कहा कि मसले पर लंबी सुनवाई जरूरी नहीं है। कोर्ट बहुत जल्द उचित आदेश पारित करेगा। उन्होंने कहा, "कई बार पुलिस निजी संपत्ति को नुकसान के मामले में इसलिए कार्रवाई नहीं करती क्योंकि उसे कोई शिकायत नहीं देता। हमें ऐसी स्थिति बनानी होगी कि पुलिस खुद कार्रवाई करे।"