चेन्नई। तमिलनाडु के जाने-माने वरिष्ठ राजनेता एम. करुणानिधि का चेन्नई में देहांत हो गया। वे पिछले दस दिनों से यूरिनल इन्फेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन से पूरे देश और राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है और साथ ही साउथ फिल्म इंडस्ट्री को बहुत बड़ा धक्का लगा है।
राजनीति में आने से पहले करुणनिधि ने तमिल सिनेमा में बहुत ही जबरदस्त काम किया था। राजनीति में कदम रखने से पहले एम. करुणानिधि ने तमिल फिल्म इंडस्टी में बतौर स्क्रीनराइटर काम किया था और फिल्म इंडस्ट्री में ही उन्हें 'कलेगनार' नाम की उपाधि मिली थी। उन्होंने अपने डायलॉग्स से एमजी रामचंद्रन को स्टार बना दिया था।
बतौर स्क्रीनराइटर उनकी पहली फिल्म 'राजकुमारी' थी जिसे जुप्टर पिक्चर्स ने प्रोड्यूस किया था और एएसए सामी ने डायरेक्ट किया था और एमजी रामचंद्रन ने एक्टर की भूमिका निभाई थी। वहीं, साल 1952 में आई तमिल फिल्म 'पराशक्ति' ने तमिल सिनेमा का रंग-रूप ही बदलकर रख दिया था। यह फिल्म द्रविड़ आंदोलन पर आधारित थी जिसने बॉक्स आॅफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की थी।
मात्र 20 साल की उम्र में वह जुप्टर पिक्चर्स के लिए बतौर स्क्रिप्ट राइटर काम करने लगे थे, लेकिन राजनीति में जाने के बाद भी उन्होंने अपना लिखने का शौक नहीं छोड़ा। 2011 में उन्होंने आखिरी फिल्म 'पोन्नर शंकर' लिखी थी। साल 1947 से साल 2011 तक करुणानिधि ने तकरीबन 40 फिल्में लिखी थीं।
तमिल साहित्य में योगदान:
करुणानिधि ने तमिल साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। तमिल भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी। वे इसके बल पर कवि, लेखक नाटककार और तमिल फिल्मों के पटकथा लेखक बन बैठे। उनके डायलॉग पर अभिनय कर एमजी रामचंद्रन कॉलीवुड (तमिल फिल्म इंडस्ट्री) के सबसे बड़े स्टार बन गए।
करुणानिधि के एक के बाद एक सुपरहिट डायलॉग्स ने एमजी रामचंद्रन को प्रशंसकों का सुपर स्टार बना दिया। करुणानिधि अक्सर फिल्मों की स्क्रीनप्ले में द्रविड़ आंदोलन और समाज सुधार की बातें डाल दिया करते थे। इससे दर्शकों पर द्रविड़ आंदोलन के प्रति खास नजरिया बना। यूं कहें कि करुणानिधि ने फिल्मों के जरिए द्रविड़ आंदोलन को हवा दी थी। यही वजह है कि 1967 में राज्य से कांग्रेस की सत्ता ऐसी उखड़ी जो फिर कभी लौटकर नहीं आई। साल 1957 में करुणानिधि 33 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने।
सात दिन का शोक
तमिलनाडु सरकार ने करुणानिधि के निधन पर राज्य में सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। राज्य के गृह सचिव ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है। करुणानिधि के अंतिम संस्कार के मद्देनजर बुधवार को राज्य में अवकाश घोषित किया गया है। पड़ोसी केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी ने भी बुधवार को छुट्टी के साथ तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
अर्जुनसिंह ने लगाया था राजीव की हत्या का आरोप
बात 1991 की है। राजीव गांधी की मौत के बाद हत्या का आरोप डीएमके नेता करुणानिधि पर लगा था। यह आरोप किसी और नहीं बल्कि केन्द्र सरकार में मंत्री रहते हुए अर्जुन सिंह ने लगाया था, जिसका नतीजा ये निकला कि डीएमके को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली और उसकी सियासी ताकत भी काफी कमजोर पड़ी थी। अचानक से सियासत ने फिर पलटा खाया और 1996 में डीएमके 17 सीट और उसके सहयोगी दल तमिल मनीला कांग्रेस को लोकसभा में 20 सीट मिलीं और आखिरकार करुणानिधि की सिफारिश पर एचडी देवेगौड़ा को पीएम बनाया गया।
जयललिता कसती थी तंज
दो-दो पत्नियों संग रहने पर कई बार उन्हें विरोधियों की आलोचना भी सहनी पड़ी। धुरविरोधी अन्नाद्रुमुक नेता जयललिता भी उन्हें इसको लेकर ताने मारा करतीं थीं। जयललिता कई बार कहतीं थीं कि करुणानिधि के परिवार में कई पॉवर सेंटर हैं। जाहिर सी बात है उनका इशारा करुणानिधि की दो पत्नियों की तरफ होता था।
गुजराल को बनवाया पीएम
कांग्रेस ने एचडी देवेगौड़ा सरकार से समर्थन वापस ले लिया जिसके बाद देवेगौड़ा की सरकार गिर गई, लेकिन इस बीच करुणानिधि कांग्रेस के अंदर अपने संबंधों को खासा मजबूत कर चुके थे। कांग्रेस के कई दिग्गजों से उनके अच्छे संबंध थे। यही वजह थी कि देवेगौड़ा के पीएम पद से हटने के बाद करुणानिधि आईके गुजराल को पीएम बनवाने में कामयाब रहे थे।
एमजीआर से ऐसे खत्म हुई दोस्ती
करुणानिधि ने अपने अभिनेता दोस्त एमजी रामचंद्रन को डीएमके में शामिल कर लिया। खुद पार्टी अध्यक्ष बने और उन्हें कोषाध्याक्ष बनाया था लेकिन जब करुणानिधि को लगा कि रामचंद्रन की लोकप्रियता बढ़ रही है तो उन्होंने रामचंद्रन का कद पार्टी में छोटा कर दिया। इससे नाराज एमजी रामचंद्रन ने पार्टी का विभाजन कर आॅल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) बना लिया।
दो पत्नियों के साथ रहने का फार्मूला
महाभारत के भीष्म पितामह ने भले ही एक भी शादी न रचाई हो मगर तमिलनाडु के भीष्म पितामह ने एक नहीं तीन-तीन शादियां कीं। पहली पत्नी पद्मावती थीं, जिनका निधन हो चुका है। दूसरी दयालु अम्मल हैं, जबकि तीसरी पत्नी का नाम रजति अम्मल है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और ऐसा कहा जाता है कि दोनों पत्नियों को समय देने के लिए करुणानिधि ने एक फामूर्ला निकाला था। वह यह कि सुबह एक बीवी के साथ गुजारते थे तो रात दूसरी बीवी के साथ। उन्हें न केवल अपने लंबे परिवार और शासन-सत्ता तथा संगठन में समायोजन बिठाना पड़ता था बल्कि दोनों बीवियों के लिए समय निकालने में भी मुश्किलें होतीं थीं। जिंदगी के इन कई धुरियों को एक साथ साधकर करुणानिधि हमेशा चलते रहे।
थम गई चेन्नई
करुणानिधि के साथ अनहोनी की आशंका भर से पूरी चेन्नई लगभग थम गई। निजी और सरकारी कार्यालयों में समय पूर्व घर जाने को कहा गया। चेन्नई में विभिन्न कारोबारी संगठनों ने शाम 6 बजे ही दुकाने बंद करने का फैसला किया। राज्य परिवहन की लंबी दूरी की बसे स्थगित कर दी गई। तमिल फिल्म इंडस्ट्री ने भी मंगलवार और बुधवार को शूटिंग रद्द करने का फैसला किया। अचानक हुए घटनाक्रम का असर यह हुआ कि चेन्नई की कई सड़कों पर जाम जैसे हालात देखने को मिले। डीएमके समर्थक करुणानिधि के शव को ले जा रही एंबुलेंस को घेरकर रोने लगे। अस्पताल के बाहर महिला, बड़े और बच्चे रो रहे हैं।
सीएम पद का सफर
करुणानिधि ने जब पहली बार राज्य की कमान संभाली थी तब केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी।
दूसरी बार भी इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं।
तीसरी बार जब करुणानिधि सीएम बने थे तब राजीव गांधी पीएम थे।
करुणानिधि के चौथी बार पीएम बनने पर नरसिम्हा राव पीएम थे।
पांचवीं बार जब करुणानिधि साल 2006 में सीएम बने तब मनमोहन सिंह देश के पीएम थे।
1975 में जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई थी तब करुणानिधि अकेले ऐसे सीएम थे जिन्होंने उसका विरोध किया था। इससे गुस्साई इंदिरा ने उनकी सरकार बर्खास्त कर दी थी और डीएमके के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार करवा दिया था।
एक भी सीट नहीं, फिर भी तीन पीएम बनवा दिए
1989 और 1991 में एम करुणानिधि की पार्टी डीएमके को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली थी बावजूद इसके करुणानिधि ने केन्द्र की सत्ता में दखल देते हुए तीन लोगों को पीएम बनवाने में खासा अहम रोल निभाया था। करुणानिधि पूरे समय सियासत के एक बड़े गेमचेंजर रहे हैं। 1989 में उनके हाथ लोकसभा की एक भी सीट नहीं थी, लेकिन इसके बाद भी चौधरी देवीलाल के साथ मिलकर वीपी सिंह को पीएम बनवाने में अहम रोल निभाया।
मोदी भी चेन्नई जाएंगे
करुणानिधि की तबीयत खराब होने की सूचना के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चेन्नई रवाना हो गई थीं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर बताया कि वह बुधवार को चेन्नई जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी बुधवार को चेन्नई जाएंगे।