नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आईसीएसई बोर्ड के तहत आने वाले स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें अनिवार्य करने के निर्देश की अनुपालना नहीं होने पर बोर्ड के प्रमुख को आगामी 14 अगस्त को आयोग के समक्ष हाजिर होने के लिए समन किया है।
दरअसल, आयोग ने 18 जुलाई को आईसीएसई बोर्ड का संचालन करने वाली संस्था 'भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद' (सीआईएससीई) के मुख्य कार्यकारी गैरी एराथून को नोटिस जारी कर कहा था कि वे अपने बोर्ड से संबद्ध सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें अनिवार्य कराएं और इस संदर्भ में उठाए कदम को लेकर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दें।
बोर्ड ने नहीं दिया जवाब
बोर्ड की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर आयोग ने एराथून को समन किया है। एनसीपीसीआर ने बोर्ड के मुख्य कार्यकारी से कहा है कि वे 14 अगस्त को दिन में 11 बजे सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ आयोग के समक्ष उपस्थित हों। एनसीपीसीआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारे पास ऐसी शिकायतें आई थीं कि एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाने की अनिवार्यता नहीं होने से आईसीएसई बोर्ड के बहुत सारे स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ाई जा रही हैं। इससे बच्चों और उनके अभिभावकों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं और उन्हें अतिरिक्त मानसिक दबाव का भी सामना करना पड़ता है।
सीबीएसई को उठाना पड़ा था यह कदम
कुछ महीने पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई ने एनसीपीसीआर की आपत्ति के बाद कक्षा छह से आठ तक के लिए समान मूल्यांकन नीति वापस ले ली थी। आयोग ने समान मूल्यांकन नीति को शिक्षा के अधिकार यानी आरटीई कानून का उल्लंघन बताया था।