नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति को आईएनएक्स मीडिया में अनियमितताओं के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति ए के सीकरी तथा न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि जब स्वतंत्रता का सवाल होता है तो अदालतें ऐसी स्थिति में तकनीकी पहलू में नहीं जातीं।
पीठ ने कहा कि वह कार्ति को मिली जमानत में हस्तक्षेप नहीं कर रही लेकिन कानून का यह प्रश्न विचार के लिये खुला जरूर रख रही है कि क्या निचली अदालत में जमानत के लिए आवेदन लंबित रहने के बावजूद आवेदक उच्च न्यायालय का रूख कर सकता है।सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सवाल खुला रखा जाना चाहिए क्योंकि उच्च न्यायालय के समवर्ती अधिकार क्षेत्र के अधिकारों का आह्वान करना 'फोरम शॉपिंग' का मामला हो सकता है।