नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वैष्णो देवी के दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या तय करने से इनकार कर दिया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार से पूछा वैष्णो देवी में खच्चरों के मालिकों के पुनर्वास के लिए क्या योजना है? कोर्ट ने पूछा कि आप कब तक पुनर्वास करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी कोई कैबिनेट नहीं है, ऐसे में कब तक पुनर्वास का काम पूरा होगा?
याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को यह तय करना चाहिए कि कितने लोग दर्शन के लिए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग वैष्णो देवी श्रद्धा और आस्था से जाते हैं न कि उन्हें श्राइन बोर्ड उन्हें बुलाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका कोई समाधान होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि समय के हिसाब से खच्चरों को हटाना होगा और कोई दूसरा विकल्प तलाशना होगा।
फिलहाल 4 हजार से ज्यादा खच्चर लोगों को लाने ले जाने का काम करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन्हें रातों रात नहीं हटाया जा सकता। इसके लिए योजना लाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल में इनकी संख्या 10 फीसदी कम करके काम शुरू किया जा सकता है। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तरफ से कहा गया कि खच्चरों को तुरंत हटाना संभव नहीं है।
केंद्र सरकार ने कहा कि खच्चरों का देश के अन्य हिस्सों में भी इस्तेमाल होता है। श्राइन बोर्ड ने कहा कि खच्चर मनाली, शिमला, केदारनाथ, नॉर्थ ईस्ट में इस्तेमाल होते हैं। सेना का सामान ले जाने के लिए भी खच्चर ही काम आते हैं। इन दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष आपस में विचार कर चार हफ्ते में कोर्ट में जवाब दाखिल करें।