नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देशभर में भीड़ द्वारा लिंचिंग की घटनाओं की निंदा की। कोर्ट ने संसद से इस अपराध से निपटने के लिए कानून बनाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सख्त आदेश दिया कि वो संविधान के मुताबिक काम करें, साथ ही राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने से संबंधित गाइडलाइंस को चार हफ्ते में लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि सरकारें हिंसा की इजाजत नहीं दे सकती हैं, लिहाजा इसको रोकने के लिए विधायिका कानून बनाए।
गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ की हिंसा पर रोक लगाने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये राज्य सरकारों का दायित्व है कि वह इस तरह से हो रही भीड़ की हिंसा को रोकें।
इससे पहले गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर अंकुश लगाने के न्यायिक आदेश पर अमल नहीं करने के कारण राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इन सरकारों से जवाब मांगा था। महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने यह अवमानना याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि इन 3 राज्यों ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 6 सितंबर के आदेश का अनुपालन नहीं किया है।