नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाये जाने के कुछ दिनों बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने आज कहा कि सेना घाटी में लोगों के प्रति दोस्ताना व्यवहार रखते हुए काम कर रही है। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के इतर कहा, हमारा मूल उद्देश्य घाटी में हिंसा और गड़बड़ी पैदा करने वाले आतंकवादियों के पीछे पड़ना है। हमारा उद्देश्य ऐसे नागरिकों को परेशान करना नहीं है जो आगजनी या हिंसा में शामिल नहीं होते हैं।' यह पूछे जाने पर कि राज्य में सरकार गिरने के बाद क्या घाटी में सुरक्षा बढ़ाई गई है, तो जनरल रावत ने कहा, सुरक्षा बढ़ाने जैसा कुछ भी नहीं है ... सेना लोगों के प्रति दोस्तानाव्यवहार रखते हुए काम करती है।
सेना प्रमुख ने कहा, हमारे नियम बहुत जनोन्मुखी हैं और हम बहुत ही दोस्ताना रूख के साथ अपने अभियान चलाते हैं और, ऐसी प्रेरित रिपोर्ट जिसमें कहा गया है कि भारतीय सेना कश्मीर में बर्बर तरीके से अभियान चला रही है, सच नहीं है। इससे पूर्व जनरल रावत ने कश्मीर में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन पर हाल में आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और कहा था कि भारतीय सेना का इस संबंध में रिकॉर्ड अच्छा है।
सेना प्रमुख आज बारामुला और घाटी के अन्य पड़ोसी क्षेत्रों से पांच लड़कियों समेत स्कूली विद्यार्थियों के एक समूह से मिले। यह समूह राष्ट्रीय एकीकरण दौर के तहत यहां साउथ ब्लॉक में उसे मिलने आया था। उन्होंने कहा, ह्यहम चाहते है कि ये बच्चे यह संदेश साथ लेकर वापस जायें कि यदि कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां और पथराव की घटनाएं रूक जायें तो यह भी दिल्ली या अन्य बड़े शहरों की तरह समृद्ध हो सकता हैं और शायद इससे और बेहतर हो सकता है।
जनरल ने कहा, भारत चाहे तो फिर हो सकता है
न्यूज चैनलों पर इन दिनों जहां सितंबर, 2016 में पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी शिविरों को नष्ट करने के लिए किए गए सर्जिकल स्ट्राइक का विडियो प्रसारित हो रहा है, वहीं उस अभियान के इन-चार्ज रहे आर्मी के तत्कालीन नॉर्दर्न कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डी.एस.हुड्डा का मानना है कि भारत अगर इस्लाबामाद को दोबारा कड़ा संदेश देना चाहता है तो फिर से सर्जिकल स्ट्राइक किया जा सकता है।
जनरल हुड्डा ने बताया कि 2016 में आतंकी कैम्पों पर हमले का फैसला केंद्र का था और सेना ने उसपर सहमति जताई थी। जनरल हुडा ने कहा, 'सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला पॉलिटिकल लीडरशिप की तरफ से आया था, सेना का मानना था कि हमें कुछ करने की जरूरत है। अगर हम भविष्य में पाकिस्तान को एक और संदेश देना चाहते हैं, हम यह दोबारा कर सकते हैं।