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ऑपरेशन ब्लू स्टार : रणनीति को ऐसे दिया गया अंजाम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 6 2018 9:58AM | Updated Date: Jun 6 2018 9:58AM
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नई दिल्ली। सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर परिसर में 6 जून 1984 को भारतीय सेना की कार्रवाई को ऑपरेशन ब्लूस्टार नाम दिया गया था। दरअसल स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे खालिस्तान समर्थक आतंकियों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना गोल्डन टेंपल में दाखिल हुई थी। ऑपरेशन के दौरान मरने वालों में जरनैल सिंह भिंडरावाले भी शामिल था, जिसकी अगुवाई में सिखों के लिए अलग खालिस्तान की मांग हो रही थी।  भारत सरकार के श्वेतपत्र के मुताबिक ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान 83 जवान शहीद हुए थे, जबकि 249 घायल हुए। श्वेतपत्र के मुताबिक 493 आतंकवादी या आम नागरिक कार्रवाई में मारे गए। वहीं 86 घायल हुए और 1592 को गिरफ्तार किया गया। 
 
भिंडरावाले कौन था?
भिंडरावाले सिखों के धार्मिक समूह दमदमी टकसाल का प्रमुख था। सिखों के लिए अलग देश की मांग करने वालों में भिंडरावाले को प्रमुख बताया जाता है। हालांकि उसने कभी यह दावा नहीं किया कि उसने सिखों के लिए अलग देश की मांग की है लेकिन उसके बयान से अलगाव का समर्थन होता था। बंटवारे के दौरान पंजाब में कट्टरपंथी विचारधारा जन्‍म लेने लगी। जब अकाली अलग सिख राज्‍य की मांग कर रहा था तब दमदमी टकसाल में एक लड़का सिख धर्म की पढ़ाई करने आया। इसका नाम था जरनैल सिंह भिंडरावाला। उसकी धर्म के प्रति कट्टर आस्‍था ने उसे सबका प्रिय बना दिया और जब टकसाल के गुरु का निधन हुआ तो भिंडरावाला को टकसाल प्रमुख का दर्जा मिल गया। इसके बाद भिंडरावाला का प्रभाव बढ़ने लगा और देश विदेश में उसे समर्थन मिला। 
 
खालिस्तान आंदोलन का परिचय
आजादी के बाद खालिस्तान का आंदोलन शुरू हो गया था। यह आंदोलन भारत से पंजाब को अलग करके खालिस्तान नाम से एक नए देश बनाने के लिए किया गया था। इससे भारत में आतंक के एक नए अध्याय की शुरुआत हुई जिसका समापन 6 जून, 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के साथ हुआ। हालांकि इस ऑपरेशन के साथ सिख अलगाववाद करीब-करीब खत्म हो गया लेकिन अभी दुनिया भर में कई संगठन हैं जो पंजाब को अलग करने की मांग करते हैं। 
 
आंदोलन की शुरुआत 
आजादी के लड़ाई में भारत के सभी समुदायों हिंदू, मुस्लिम और सिख ने मिलकर हिस्सा लिया था। आजादी के बाद भारत का विभाजन हो गया और मुस्लिमों को पाकिस्तान के रूप में एक अलग देश मिल गया। जब यह विभाजन हो रहा था तो सिख समुदाय को भी महसूस हुआ कि उनका अपना एक अलग देश होना चाहिए। साल 1950 में अकाली दल ने अलग पंजाबी राज्य बनाने के लिए आंदोलन चलाया। 1966 में अकाली दल की मांग को मानकर पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की स्थापना हुई।  1980 के दशक में खालिस्तान आंदोलन ने जोर पकड़ा। अकाली दल के कमजोर पड़ने और 'दमदमी टकसाल' के जरनैल सिंह भिंडरावाला की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही यह आंदोलन हिंसक होता गया। 

ऑपरेशन ब्लू स्टार 
1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल की हत्या हो गई। इससे तनाव बढ़ गया और उसी साल जालंधर के पास बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज की बस में चुन-चुनकर हिंदुओं की हत्‍या कर दी। इसके बाद विमान हाईजैक हुए। स्थिति काबू से बाहर हो गई और केंद्र सरकार ने राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लगा दिया। अब तक स्‍वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना चुका भिंडरावाला सरकार के निशाने पर आ चुका था और स्‍वर्ण मंदिर को चरमपंथियों के कब्‍जे से मुक्‍त कराने के लिए ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार की योजना बनाई गई।  ऑपरेशन ब्लू स्टार के पांच महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन्हीं के सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद देशभर में बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। 
 
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