नई दिल्ली। देश के महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय की 246वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। 'आधुनिक भारत के निर्माता' और 'भारतीय पुनर्जागरण के जनक' के तौर पर जाने जाने वाले राजा राम मोहन राय ने 19वीं सदी में समाज सुधार के लिए व्यापक आंदोलन चलाए, जिनमें सती प्रथा का उन्मूलन सबसे अहम है।
राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के राधानगर गांव में हुआ था। तब यह बंगाल प्रेजीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था। पिता रमाकांत राय हालांकि हिन्दू ब्राह्मण थे, लेकिन बचपन से ही वह कई हिन्दू रूढ़ियों से दूर रहे।मूर्तिपूजा के विरोधी राजा राम मोहन राय की आस्था एकेश्वरवाद में थी।
उनका साफ मानना था कि ईश्वर की उपासना के लिए कोई खास पद्धति या नियत समय नहीं हो सकता।पिता से धर्म और आस्था को लेकर कई मुद्दों पर मतभेद के कारण उन्होंने बहुत कम उम्र में घर छोड़ दिया था। इस बीच उन्होंने हिमालय और तिब्बत के क्षेत्रों का खूब दौरा किया और चीजों को तर्क के आधार पर समझने की कोशिश की।
घर लौटने पर उनके माता-पिता ने यह सोचकर उनकी शादी कर दी कि उनमें 'कुछ सुधार' आएगा, पर वह हिन्दुत्व की गहराइयों को समझने में लगे रहे, ताकि इसकी बुराइयों को सामने लाया जा सके और लोगों को इस बारे में बताया जा सके।उन्होंने उपनिषद और वेदों को पढ़ा और 'तुहफत अल-मुवाहिदीन' लिखा।
यह उनकी पहली पुस्तक थी और इसमें उन्होंने धर्म में भी तार्किकता पर जोर दिया था और रूढ़ियों का विरोध किया।राजा राम मोहन राय ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की थी, जो पहला भारतीय सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन माना जाता था। यह वह दौर था, जब भारतीय समाज में 'सती प्रथा' जोरों पर थी। 1829 में इसके उन्मूलन का श्रेय राजा राममोहन राय को ही जाता है।इसके अलावा उन्होंने उस दौर की अन्य सामाजिक बुराइयों- बहुविवाह, बाल विवाह, जाति-व्यवस्था, शिशु हत्या, अशिक्षा को भी समाप्त करने के लिए मुहिम चलाई और काफी हद तक इसमें सफलता पाई।