बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अभी दो दिन बाकी हैं, लेकिन राजनीतिक समीकरण बिठाने की जुगत तेज हो चुकी है। चीफ मिनिस्टर सिद्धारमैया ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि यदि हाईकमान किसी दलित नेता को इस पद पर बिठाना चाहता है तो वह मुख्यमंत्री का पद छोड़ने को तैयार हैं। इसे कांग्रेस की ओर से जेडीएस को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
माना जा रहा है कि वह सिद्धारमैया के नाम पर कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार नहीं होगी। 'टीवी 9' कन्नड़ की रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धारमैया ने कहा, 'मैं किसी दलित के लिए सीएम पद का त्याग करने के लिए तैयार हूं।' अब तक कांग्रेस की जीत के दावे करते रहे सिद्धारमैया के इस बयान को पार्टी के कमजोर प्रदर्शन की आशंका से जोड़कर देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक गठबंधन की स्थिति में कांग्रेस पार्टी खुद दलित सीएम देकर समर्थन हासिल करने का प्रयास कर सकती है।
ऐसे में गठबंधन के माहौल को पहले से तैयार करने की रणनीति के तहत सिद्धारमैया की ओर से यह बयान आया है। मतदान के बाद शनिवार शाम को आए ज्यादातर एग्जिट पोल्स में किसी भी दल को बहुमत न मिलने का अनुमान लगाया गया है। ऐसी स्थिति में जनता दल सेकुलर के नेता एचडी देवगौड़ा किंगमेकर के तौर पर उभर सकते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा की ओर से बीजेपी के साथ गठबंधन न करने के संकेत दिए जा चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस को उनके साथ आने की उम्मीद है। हालांकि जेडीएस का कहना है कि गठबंधन के मसले पर बात करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं बल्कि कांग्रेस की है।
बीजेपी से नाराज
जेडीएस के बीजेपी संग जाने की संभावना इसलिए भी नहीं दिखती क्योंकि दोनों दलों के बीच 2008 में हुए गठबंधन का कड़वाहट के साथ अंत में हुआ था। हालांकि देवगौड़ा के कांग्रेस के साथ आने में सिद्धारमैया भी एक बड़ा पेच हैं। इसकी वजह यह है कि खुद देवगौड़ा ने ही सिद्धारमैया को 2005 में जेडीएस से बाहर किया था। उसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। ऐसे में सिद्धारमैया के नाम पर देवगौड़ा असहमति जता सकते हैं।
कहा यह भी जा रहा है कि देवगौड़ा की ओर से सिद्धारमैया को हटाने पर ही कांग्रेस को समर्थन दिए जाने की शर्त रखी जा सकती है। गौरतलब है कि रविवार सुबह ही देवगौड़ा ने कहा था कि फिलहाल वह किसी भी चीज को स्वीकार करने या खारिज करने की स्थिति में नहीं हैं। उनके इस बयान को गठबंधन के विकल्प खुले रखने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में अब सिद्धारमैया की ओर से दलित व्यक्ति के लिए सीएम पद का त्याग करने की बात करना गहरे संकेत देता है।