नीमच। देश के सबसे बड़े लहसुन उत्पादक मालवा में लहसुन के दाम गिरने से किसानों में भारी आक्रोश है। मालवा की मंडियों में लहसुन इस समय एक से पांच रुपए किलो बिक रहा है। इससे आए दिन मालवा की कई मंडियों में हंगामा मच रहा है। नीमच जिले में लहसुन के दामों में आ रही भारी गिरावट के पीछे आर्थिक मंदी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। लहसुन को राज्य सरकार ने भावांतर योजना में शामिल किया हुआ है, लेकिन इसके बावजूद जो दाम मिल रहे है उससे किसानों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। इन दामों में लहसुन बेचने से बढ़िया किसान लहसुन को फेंकना अच्छा मान रहे हैं।
इस तरह गिरते गए भाव
नीमच मंडी से मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी महीने में लहसुन 50 से 80 रुपए किलो के भाव से बिका था। उसके बाद से भाव लगातार नीचे गिरते जा रहे हैं। वहीं, पिछले साल वर्ष 2017 में लहसून का भाव जनवरी माह में 30 से 40 रुपए था, जबकि नवंबर-दिसंबर 2017 में लहसुन का भाव 4 रुपए से 20 रुपए किलो था।
आए दिन हो रहे विवाद
रविवार शाम नीमच मंडी में लहसुन का दाम दो रुपए किलो लगा जबकि 4 मई को मंदसौर जिले की शामगढ़ मंडी में लहसुन एक रुपए किलो बिका। लहसुन के गिरते दाम को देखकर जमकर बवाल हुआ और किसानों ने मंडी कमेटी के दफ्तर को घेर लिया। हालात इतने बिगड़े की पुलिस और प्रशासन के अफसर मौके पर पहुंच गए। किसानों का हंगामा देखकर स्थानीय विधायक हरदीप सिंह डंक भी मौके पर पहुंचे थे उनका कहना था किसान पांच दिन से मंडी में लहसुन लेकर पड़े हैं। आज उनके लहसुन का भाव एक रुपए किलो रह गया है। अब किसान के सामने इसे फेंकने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।
इसलिए घट रहे दाम
लहसुन के कारोबारियों का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी के कारण किसान परेशान है। सबसे खास बात यह की नीमच, मंदसौर में लहसुन उत्पादक इलाके जरुर हैं, लेकिन यहां मात्र तीन लहसुन इंडस्ट्रीज है। बाकी सारा माल अन्य राज्यों में जाता है। जैसे नीमच, मंदसौर और जायरा मंडियों से लहसुन गुजरात के महुआ में जाता था, जहां देश के सर्वाधिक लहसुन प्रोसेसिंग प्लांट है लेकिन वहां आर्थिक मंदी के कारण प्लांट बंद हो रहे हैं। इससे व्यापारियों का पैसा अटक गया है। ऐसे में व्यापारी लहसुन खरीदेंगे कैसे और जब खरीदी नहीं होगी तो दाम गिरेंगे।