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सेना प्रमुख के इस बयान पर भड़के ओवैसी- राजनीतिक मामलों से रहे दूर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 22 2018 12:25PM | Updated Date: Feb 22 2018 3:33PM
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नई दिल्ली। सेना प्रमुख बिपिन रावत के एक बयान पर विवाद शुरू हो गया है। बिपिन रावत ने नार्थ ईस्ट को लेकर बड़ा बयान दिया है। चीन और पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ये दोनों देश भारत की शांति और मजबूती को हिला नहीं पा रहे हैं। इसलिए चीन ने प्रॉक्सी वॉर का रास्ता चुना है। इतना ही नहीं उत्तरी पूर्व के रास्ते भारत आने वाले शरणार्थियों को आर्मी चीफ ने चीन की चाल बताया है। उनका कहना है कि चीन की मिलीभगत से भारत में पाकिस्तान इस रास्ते अपने आतंकी भेज रहा है। बुधवार को राजधानी में उत्तर पूर्व में सीमा सुरक्षा को लेकर हुए एक सेमिनार में आर्मी चीफ ने यह बात कही है। 
 
चीन की चाल 
आर्मी चीफ ने कहा कि चीन के सहयोग से चलायी जा रहे परोक्ष युद्ध के तहत वहां 'योजनाबद्ध तरीके' से बांग्लादेश से लोगों को भेजा रहा है। असम के कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि की खबरों का हवाला देते हुए सेना प्रमुख ने बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ की भी चर्चा की और कहा कि राज्य में उसका उभार 1980 के दशक से भाजपा के विकास से अधिक तेज रहा।
 
सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं बात
जनरल रावत ने पूर्वोत्तर में बांग्लादेशों के प्रवासन का जिक्र करते हुए कहा - हमारे पश्चिमी पड़ोसी के चलते योजनाबद्ध तरीके से प्रवासन चल रहा है। वे हमेशा कोशिश और यह सुनिश्चित करेंगे कि परोक्ष युद्ध के जरिए इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया जाए। वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में सीमाओं को सुरक्षित बनाने के विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। 
 
सरकार जा रही राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर 
उन्होंने कहा - मैं समझता हूं कि हमारा पश्चिमी पड़ोसी इस क्षेत्र को समस्याग्रस्त बनाए रखने के लिए हमारे उत्तरी पड़ोसी (चीन) की मदद से बहुत अच्छी तरह परोक्ष युद्ध खेलता है। हमें कुछ और प्रवासन नजर आएंगे। हल समस्या की पहचान और समग्र दृष्टि से उसपर गौर करने में निहित है। असम में अवैध बांग्लादेशियों से प्रवासन एक बड़ा मुद्दा है और राज्य सरकार राज्य में अवैध ढ़ंग से रह रहे लोगों का पता लगाने के लिए अब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर ला रही है।
 
ओवैसी ने बयान पर जताई आपत्ति
वहीं, सेना प्रमुख के बयान पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है। लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है, सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करती है।
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