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वायुसेना को मिलेंगे देश में निर्मित 15 सारस विमान

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 22 2018 9:31AM | Updated Date: Feb 22 2018 9:31AM
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नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना नेशनल एयरोनॉटिकल लेबोरेट्री (एनएएल) से 15 हलके परिवहन विमान सारस एमके 2 खरीदेगी। एनएएल द्वारा विकसित इन विमानों के इस संस्करण का अभी परीक्षण किया जा रहा है। बुधवार को भी बेंगलुरु में इसका सफल परीक्षण किया गया। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अनुसार इस मौके पर वायुसेना ने 15 विमान खरीदने की प्रतिबद्धता जताई। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन के साथ एनएएल तथा सीएसआईआर के वरिष्ठ अधिकारी भी परीक्षण के समय मौजूद थे। एनएएल सीएसआईआर की प्रयोगशाला है।
 
मेक इन इंडिया के तहत बनाए विमान
परीक्षण के दौरान वायुसेना की ओर से वहां मौजूद एयर वाइस मार्शल संदीप सिंह ने कहा भारतीय वायुसेना स्वदेश में डिजाइन किए गए और निर्मित पहले हलके परिवहन विमान के परीक्षण और उसके बाद उसे अपने बेड़े में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। वह इस कार्यक्रम को पूरा समर्थन दे रही है तथा सारस के नए संस्करण के डिजाइन को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सीएसआईआर सूत्रों ने बताया कि वायुसेना ने 15 से 20 विमानों की खरीद के लिए प्रतिबद्धता जताई है और जल्द ही इनके लिए सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
 
सारस के नए संस्करण के 20 परीक्षण बाकी
सारस के नए संस्करण के कुल 20 परीक्षण होना हैं। इसका वाणिज्यिक मॉडल इस साल के जून-जुलाई तक तैयार होने की उम्मीद है। परीक्षण मॉडल में 14 सीटें हैं, जबकि वाणिज्यिक मॉडल में 19 सीटें होंगी। इसका इस्तेमाल यात्रियों और सामान दोनों के परिवहन के लिए किया जा सकता है। विमान का परीक्षण वायुसेना के एयरक्रॉफ्ट एंड सिस्टम टेस्टिंग इस्टेलिशमेंट द्वारा किया जा रहा है।
 
इस उड़ान दल में इस्टेलिशमेंट के विंग कमांडर यूपी सिंह, ग्रुप कैप्टन आरवी पाणिकर और ग्रुप कैप्टन केपी भट शामिल थे। पहला परीक्षण 24 जनवरी को किया गया था। विमान के विकास एवं प्रमाणन पर कुल 600 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। डॉ. हर्षवर्द्धन ने बताया कि सारस इसी श्रेणी के आयातित विमानों की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत सस्ता होगा। आयातित विमानों की कीमत 60 से 70 करोड़ रुपए होती है, जबकि 70 प्रतिशत स्वदेशी कलपुर्जों वाले सारस की कीमत 40 से 45 करोड़ रुपए होगी। 
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