नई दिल्ली। देश में युवाओं को बेहतर रोजगार और बेरोजगारी को हटाने के वादे के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार के लिए युवाओं को रोजगार मुहैया कराना तेड़ी खीर साबित हो रहा है। जहां सरकार ने मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसी योजनाओं को चलाकर रोजगार के साधन देने का प्रयास किया लेकिन यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे है। इस बात का खुलासा लेबर ब्यूरो की तिमाही रिपोर्ट में हुआ है। सरकार की तरफ से 8 मुख्य क्षेत्रों में किए गए सर्वे में यह आंकड़े सामने आए है कि पिछले साल अप्रैल और जून के बीच महज 64 हजार नौकरियों के अवसर मिले है वहीं मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 87 हजार लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। ये आंकड़े साफ दिखा रहे हैं कि 'मेक इन इंडिया' जैसे प्रोजेक्ट अभी सरकार के लिए दूर की कौड़ी हैं।
सर्वे दिखाता है कि ऐजुकेशन और हेल्थ सेक्टर में पिछले साल अप्रैल और जून के बीच में 1.3 लाख लई जॉब आई हैं। जबकि मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड, ट्रांसपोर्ट, आवास और रेस्तरां और आईटी/बीपीओ इंडस्ट्री में संयुक्त रूप से 66 हजार नौकरियां गई हैं। इस तिमाही में नई नौकरियां पैदा करने के मामले में शिक्षा सबसे बड़ा सेक्टर बनकर ऊभरा है, जहां 99 हजार नई नौकरियां तैयार हुई हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में 31 हजार नई नौकरियां तैयार हुई हैं। 2016 के फॉर्मेट के मुताबिक इस सर्वे में रेग्युलर और कैजुअल रोजगार के साथ स्वरोजगार को भी शामिल किया गया है।
अप्रैल 2016 से अब तक इन आठ सेक्टरों में करीब 4.8 लाख नई नौकरियां तैयार हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिक्षा में 1.7 लाख, और स्वास्थ्य में 1 लाख नौकरियां तैयार हुई हैं, जो रोजगार में 2.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी करता है। हर साल जिस हिसाब से नई नौकरियां तैयार होनी चाहिए, उस हिसाब से यह आंकड़ा काफी नहीं है।