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मोदी ने शिक्षक के रूप में 10 करोड़ विद्यार्थियों को पढ़ाया पाठ

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 16 2018 4:38PM | Updated Date: Feb 16 2018 4:38PM
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज देश  के 10 करोड़ बच्चों को परीक्षा में तनाव से मुक्ति का पाठ पढ़ाते हुए उनमें आत्म विश्वास पैदा करने, अपने साथियों के साथ प्रतिस्पर्धा की जगह अनुस्पर्धा करने तथा परीक्षा में नंबर के पीछे न भागने की सलाह दी। मोदी ने छात्रों को जीवन में कुछ अनोखा करने तथा समाज के लोगों को भी जानने-समझने की भी सीख दी। इसके साथ ही उन्होंने अभिभावकों को अपने बच्चों की तुलना दूसरों से न करने की हिदायत दी और शिक्षकों से छात्रों के साथ भावनात्मक रिश्ता कायम करने का भी सुझाव दिया।

उन्होंने राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम के सभागार में खचाखच भरे छात्रों को संबोधित करते हए  यह  क्लास ली। उन्होंने स्टेडियम में मौजूद छात्रों के अलावा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए देश भर के विभिन्न शहरों के छात्रों तथा टी वी चैनलों के माध्यम से भी छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए। इस अवसर पर मानव संधाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन, संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ जीतेंद्र सिंह के अलावा मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और डॉ सत्यपाल सिंह भी मौजूद थे।

मोदी ने सभागार में मंच से छात्रों को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया,वह प्रधानमंत्री के रूप में नहीं बल्कि आपके मित्र के रूप में आपसे संवाद करने आए हैं। यह एक प्रधानमंत्री का कार्यक्रम नहीं है। यह 10 करोड़ बच्चों का कार्यक्रम है, आप लोग मेरे परीक्षक हैं। पता नहीं आप लोग मुझे कितने नंबर देंगे। उन्होंने कहा, मैं आपका दोस्त हूँ, आपके परिवार का दोस्त हूँ , आपके अभिभावकों का दोस्त हूँ। मेरी परीक्षा होने वाली है और आप लोग आज मेरी परीक्षा लेने वाले हैं।

देश भर के 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों, उनके परिजनों और शिक्षकों से रूबरू होने का सौभाग्य मुझे मिला है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने शिक्षकों के योगदान का जिक्र करते हुए उनका नमन किया और कहा कि इन शिक्षकों ने उन्हें अभी भी विद्यार्थी बनाए रखा। उनके भीतर के विद्यार्थी को बरकरार रखा है और मुझे  बड़ी शिक्षा  मिली कि भीतर के विद्यार्थी को मरने मत देना और भीतर का विद्यार्थी जीवन भर जीता है तो उससे जीने की ताकत मिलती है।

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