नई दिल्ली। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन ने पूर्णरूप से देश में विकसित और कम वजन वाले 'ग्लाइड बम' बनाने में सफलता हासिल की है जिसका ओडिशा के चांदीपुर में परीक्षण हुआ। स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन को परीक्षण के दौरान भारतीय वायु सेना के विमान से गिराया गया और सटीक नेविगेशन प्रणाली के माध्यम से उसका मार्गदर्शन किया गया। बहुत ही सटीकता के साथ 70 किमी से अधिक दूरी के अपने लक्ष्य तक पहुंचने में यह कामयाब रहा। विभिन्न स्थितियों में इसके तीन परीक्षण किए गए जो सभी सफल रहे।
निर्मला सीतारमण ने दी वायु सेना को बधाई
रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि जल्द ही इसे सशस्त्र सेनाओं के सुपुर्द किया जाएगा। 120 किग्रा का यह स्मार्ट ऐंटी-एयरफील्ड वेपन 100 किमी के दायरे में बिल्कुल सटीक तरीके से टारगेट को निशाना बना सकता है। 'ग्लाइड बम' जंग के दौरान दुश्मन के छक्के छुड़ाने में काफी मददगार साबित होगा। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने वायु सेना व डीआरडीओ के अधिकारियों को बधाई दी है।
यह दुश्मनों के ठिकानों को कर सकता है तबाह
गौरतलब है कि सितंबर 2013 में एसएसएडबल्यू प्रॉजेक्ट को मंजूरी मिली थी। पिछले साल मई में डीआरडीओ ने बंगलुरु में आईएएफ के जगुआर एयरक्राफ्ट से इस वेपन का पहला परीक्षण किया था। दूसरा परीक्षण पिछले साल दिसंबर में एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमान से किया गया था। 'ग्लाइड बम' की सबसे खास बात यह है कि इसे टारगेट के ठीक ऊपर से दागने की जरूरत नहीं होती है। कुछ दूरी से ही यह बिल्कुल सटीक तरीके से दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकता है। ऐसे में अपने एयरक्राफ्ट के लिए खतरा कम हो जाता है। विश्व युद्ध में सबसे पहले इस तरह के बम का इस्तेमाल हुआ था लेकिन रिमोट कंट्रोल सिस्टम से इसे अब ज्यादा प्रभावी बना दिया गया है।