अमरावती। मुस्लिम समुदाय अगर तीन तलाक की प्रथा को बदलने में विफल रहता है तो सरकार कदम उठा सकती है और इसको प्रतिबंधित करने के लिए कानून बना सकती है।
नायडू ने यहां एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, मुद्दे को देखना समाज पर निर्भर करता है और अच्छा होगा अगर समाज खुद ही इस प्रथा को बदल दे। अन्यथा ऐसी स्थिति उभरेगी कि सरकार को कानून लाना होगा। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा, यह किसी के निजी मामले में हस्तक्षेप करना नहीं है, बल्कि महिलाओं के लिए न्याय का सवाल है। सभी महिलाओं को समान अधिकार होना चाहिए। कानून के समक्ष समानता यह मुद्दा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हिंदू समाज ने बाल विवाह पर चर्चा की और इसे प्रतिबंधित करने के लिए संसद में कानून पारित किया गया। दूसरा है सती सहगमन जिसमें प्राचीन समय में पति की मौत के बाद पत्नी मौत को गले लगा लेती थी। इसे हिंदू समाज ने ही कानून बनाकर बंद किया। तीसरा दहेज का मामला है। दहेज उन्मूलन कानून पारित किया गया और हिंदू समाज ने इसे स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, जब लगा कि इस तरह की प्रथा समाज की भलाई के खिलाफ है तो हिंदू समाज ने उन पर चर्चा की और उनमें सुधार किए। कुछ और सुधार करने की जरूरत है और उस दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।