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आदिवासियों की जमीन छिनने का हक किसी को नहींः मोदी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 25 2016 8:17PM | Updated Date: Oct 25 2016 8:17PM
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवाल 2016 का उद्घाटन किया। मोदी ने अपने संबोधन में आदिवासियों को पट्टे पर जमीन देने का आश्वासन देते हुए कहा कि जमीन पर उनका हक कतई नहीं छीना चाहिए क्योंकि जंगल और जमीन उनकी जरूरत है जिसकी वे उपासना करते हैं।

पीएम ने कहा कि देश के विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल जरूरी है लेकिन यह आदिवासियों के हक की कीमत पर नहीं होगा। इस सिलसिले में उन्होंने केंद्र की उस योजना का जिक्र किया जिसमें प्राकृतिक संपदाओं पर कर लगाकर उसे एक न्यास में जमा कराया जा रहा है। इस कोष का इस्तेमाल आदिवासियों के कल्याण और विकास के लिए किया जा रहा है।
       
प्रधानमंत्री ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से भूमिगत खनन तथा कोयले से गैस बनाने का काम होगा। इससे जमीन पर आदिवासियों का हक बरकरार रहने के साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी हो सकेगी।

मोदी ने कहा कि बांस जैसे वन उत्पादों से निर्मित आदिवासियों के उत्पादों को वैश्विक बाजार मुहैया कराकर उन्हें आर्थिक ताकत देने का काम अभी बाकी है। प्रधानमंत्री ने जडी -बूटी जैसी पारंपरिक चिकित्सा के आदिवासियों के अनुभव को आधुनिक स्वरूप देकर विश्व बाजार में उसका उपयोग करने की जरूरत बताई।

पीएम मोदी ने जनजातियों के विकास को गति देने के लिए जनजाति बहुल इलाकों में 100 से ज्यादा विकास केंद्र खोलने की घोषणा करते हुए आदिवासियों की वास्तविक स्थिति का पता लगाकर नीतियां तैयार करने को कहा।

मोदी ने कहा कि, इन विकास केंद्रों में शिक्षा और अस्पताल जैसी सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी ताकि सरकारी कर्मियों समेत शहरों में रहने वाले लोग वहां जाकर काम करें। उन्होंने कहा कि इसके बाद ही आदिवासियों के जीवन में बदलाव संभव होगा।

आदिवासी ही हैं जंगल के रक्षक
लोग कहते हैं कि जंगलों की रक्षा करना जरूरी है, लेकिन अगर जंगलों को किसी ने बचाया है तो मेरे जनजातीय समुदाय ने बचाया है, ये जान दे देंगे, जंगल नहीं देंगे। अगर जंगलों की रक्षा करनी है जनजातीय समुदाय से बड़ा कोई रक्षक नहीं हो सकता, इस विचार को आगे बढ़ाने की हमारी कोशिश है।

पीएम ने कहा कि पहले जनजातीय समुदाय के लिए अगल से कोई मंत्रालय नहीं था। उन्होंने कहा, 'अटल जी ने आजादी के पचास साल के बाद पहली हली बार जनजातियों के लिए अलग मंत्रालय बनाया।
       
 

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