जम्मू। कश्मीर में जारी अशांति के बीच केंद्र सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं को गिनाते हुए कहा कि हिंसा में शामिल लोगों से कोई समझौता नहीं होगा, जबकि राज्य के विकास के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे, जो पिछले 60 सालों से नहीं हुए।
कश्मीर की स्थिति को 'गंभीर' बताते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कश्मीर में पथराव में शामिल लोग 'सत्याग्रही नहीं, बल्कि प्रदर्शनकारी' हैं, जो पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। लेकिन सीमित दृष्टिकोण वाले लोग इसे नहीं देख सकते।
जम्मू शहर के बाहरी इलाके में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने वर्तमान अशांति के लिए पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि युद्ध के माध्यम से राज्य को छीनने में विफल रहने के बाद वह 'नए तरीके से भारत की अखंडता पर हमला कर रहा है' और 1947 में बंटवारे के बाद से ही समस्या उत्पन्न कर रहा है।
कश्मीर में गंभीर हालात
कश्मीर में 44 दिनों से चल रही अशांति के बारे में जेटली ने कहा, अब इस समय एक गंभीर स्थिति उभरी है जिसमें पाकिस्तान, अलगाववादी और धार्मिक ताकतों ने हाथ मिलाया है और अब नये तरीके से वे भारत की अखंडता पर हमला कर रहे हैं। जेटली ने इसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा, आज इस स्थिति में देश की आवश्यकता है कि हम राष्ट्र की एकता और अखंडता से समझौता नहीं करें।
जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग
वित्त मंत्री ने कहा, लेकिन आतंकवादियों का खात्मा किए जाने के बाद उन्होंने नयी रणनीति अपना ली। जम्मू में 2008 में जब पहली बार अमरनाथ आंदोलन शुरू हुआ तो उन्होंने नया रास्ता अपनाया और पथराव शुरू हो गया। उन्होंने कहा, स्कूल जाने वाले बच्चों के बैग में किताब के बजाए पत्थर रखा जाने लगा ताकि वे पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बना सकें और सीमित दृष्टि वाले लोग केवल गिरफ्तार उपद्रवियों को देखने लगे लेकिन हजारों जख्मी पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों को अस्पताल में पड़े वे नहीं देख सके।
जम्मू कश्मीर के लिए पीएम माेदी की तीन प्राथमिकताएं
वित्त मंत्री जेटली ने इन प्राथमिकताओं को गिनाते हुए उन्होंने कहा, 'देश की सुरक्षा और अखंडता से समझौता नहीं होगा और हिंसा में शामिल लोगों से समझौता नहीं होगा।'
उन्होंने कहा, 'दूसरी बात कि जम्मू कश्मीर हिंसा और युद्ध का सामना कर चुका है अत: यहां विकास की जरूरत है जो पिछले 60 वर्षों से नेशनल कांफ्रेंस ओर कांग्रेस की सरकारों ने नहीं होने दिया।
तीसरी बात कि जम्मू भाजपा का गढ़ है जिस पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है।' उनकी प्राथमिकताएं इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि विपक्ष मोदी सरकार पर अशांति से निपटने में कोई नीति नहीं अपनाने का आरोप लगा रहा है। विपक्षी दल अशांति का समाधान करने के लिए राजनीतिक समाधान खोजने और वार्ता करने का दबाव बना रहे हैं।