अहमदाबाद। गुजरात में अहमदाबाद की एक अदालत ने कांग्रेस में शामिल हो चुके पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के पूर्व सयोजक हार्दिक पटेल के खिलाफ उनकी पाटीदार आरक्षण समर्थक रैली के बाद हुई व्यापक हिंसा के सिलसिले में दायर राजद्रोह के एक मामले में आज गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। अदालत ने सुनवाई के दौरान बारंबार अनुपस्थिति के कारण ऐसा किया है। यह मामला 25 अगस्त 2015 को यहां जीएमडीसी मैदान में हुई विशाल पाटीदार आरक्षण समर्थक रैली के बाद हुए राज्यव्यापी तोड़फोड़ और हिंसा को लेकर यहां क्राइम ब्रांच ने उसी साल अक्टूबर में दर्ज किया था। इसमें कई सरकारी बसें, पुलिस चौकियां और अन्य सरकारी संपत्ति में आगजनी की गयी थी तथा इस दौरान एक पुलिसकर्मी समेत लगभग दर्जन भर लोग मारे गये थे जिनमें कई पुलिस फायरिंग के चलते मरे थे।
पुलिस ने आरोप पत्र में हार्दिक और उनके सहयोगियों पर चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए हिंसा फैलाने का षडयंत्र करने का आरोप लगाया था। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश बी जे गणात्रा की अदालत ने हार्दिक के खिलाफ वारंट जारी करने के बाद मामले की सुनवाई की अगली तिथि 24 जनवरी तय कर दी। सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने यूएनआई को बताया कि उन्होंने अदालत में दलील दी थी कि हार्दिक को हालंकि इस मामले में हाई कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह मामले की सुनवाई में सहयोग करेंगे पर वह ऐसा नहीं कर रहे। वह किसी न किसी बहाने से अनुपस्थित रहते हैं।
ब्रह्मभट्ट ने कहा कि अब हार्दिक को गिरफ्तार किया जा सकता है अथवा उनकी जमानत भी रद्द हो सकती है। उन्हें अदालत के समक्ष उपस्थित होना ही पड़ेगा। अदालत चाहे तो पेशी के बाद वारंट रद्द भी कर सकती है। मामले के दो अन्य आरोपी दिनेश बांभणिया और चिराग पटेल आज अदालत में उपस्थित रहे। ज्ञातव्य है कि हार्दिक के खिलाफ सूरत में राजद्रोह का एक अन्य मामला भी दर्ज है। उस मामले में उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिली हुई है। वह दोनो मामलों में लगभग नौ महीने तक जेल में रहे थे और रिहाई के बाद जमानत की शर्त के अनुरूप छह माह तक गुजरात के बाहर भी रहे थे।