प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पीएम-किसान पर पश्चिम बंगाल सरकार की बेरुखी बरकरार है, जबकि प्रदेश के किसान योजना का लाभ पाने को बेकरार हैं। उनकी बेकरारी का आलम यह है कि इस योजना के तहत आवेदन करने वाले किसानों की तादाद बढ़कर पांच लाख से ज्यादा हो चुकी है, जबकि उन्हें मालूम है कि सरकार की इजाजत के बगैर वे इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना को पश्चिम बंगाल सरकार की स्वीकृति नहीं मिलने के बावजूद प्रदेश के 5.35 लाख किसानों ने पीएम-किसान पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया है। अगर पश्चिम बंगाल सरकार इस योजना को प्रदेश में स्वीकृति देती है तो प्रदेश के तकरीबन 68 लाख किसान इस योजना का लाभ उठा पाएंगे।
पश्चिम बंगाल देश का एकमात्र प्रदेश है जहां पीएम-किसान निधि योजना का लाभ पाने से किसान अब तक वंचित हैं। पिछले साल फरवरी से शुरू हुई इस योजना का लाभ अब तक देश के आठ करोड़ से ज्यादा किसान उठा चुके हैं, लेकिन ममता और मोदी की राजनीतिक तकरार के कारण प्रदेश के किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को सालाना 6,000 रुपये की राशि तीन समान किस्तों में दी जाती है और हर तीन महीने पर 2,000 रुपये की राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा करवाई जाती है। इस योजना की शुरुआत पिछले साल फरवरी में हुई थी और इसे एक दिसंबर 2018 से ही लागू किया गया था। पश्चिम बंगाल को छोड़ देश के बाकी राज्यों में जो किसान इस योजना से जुड़ चुके हैं उन्हें पीएम-किसान सम्मान निधि की चार किस्तों का लाभ पाने के हकदार बन चुके हैं जबकि पश्चिम बंगाल के एक भी किसान को अब तक एक भी किस्त नहीं मिल पाई है।