नई दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार को सम्पूर्ण विपक्ष ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को विधायिका में समुचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए आरक्षण की अवधि 10 साल और बढ़ाने के सरकार के प्रस्ताव का जहां समर्थन किया वहीं एंग्लो इंडियन समुदाय को इससे अलग करने संबंधित प्रावधान का पुरजोर विरोध किया। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि संविधान का 126वां संशोधन विधेयक 2019 के उन प्रावधानों का वे पुरजोर समर्थन करते हैं जिनके जरिये लोकसभा और विधानसभाओं में दलितों और वंचितों को समुचित प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2030 तक बढ़ायी जा रही है। यह अवधि 25 जनवरी 2020 को समाप्त हो रही थी। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने एंग्लो इंडियन की संख्या के मसले पर संसद को गुमराह करने का आरोप भी लगाया।
उचर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के हिबी इडेन ने कहा कि एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्यों से संबंधित आंकड़े को लेकर सरकार सदन को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार जिस रिपोर्ट के हवाले से देश में एंग्लो इंडियन सदस्यों की संख्या मात्र 296 बता रही है, वह गलत है। उन्होंने कहा कि इस समुदाय की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार अकेले एर्नाकुलम जिले में 20 हजार से ज्यादा है। उन्होंने देश के विकास में इस समुदाय के लोगों की ऐतिहासिक भूमिका की सराहना की और कहा कि उनके बारे में सरकार के पास सही आँकड़ा नहीं है इसलिए सरकार को इस समाज के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक विकास के बारे में अध्ययन के लिए समिति का गठन करना चाहिए।