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लोकसभा में 21,246 करोड़ रुपये की अनुपूरक अनुदान माँगें पारित

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 5 2019 12:31AM | Updated Date: Dec 5 2019 12:31AM
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नई दिल्ली। लोकसभा ने चालू वित्त वर्ष के लिए 21,246.16 करोड़ रुपये की अनुपूरक अनुदान मांगें और उनसे संबंधित दो विनियोग विधेयकों को बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अनुपूरक माँगों तथा विनियोग विधेयक पर करीब चार घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विभिन्न शीर्षों के अंतर्गत दोबारा आवंटन किया जाना है इसलिए सरकार यह अनुपूरक माँगे लेकर सदन में आयी है। विधेयक में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जो राशि आवंटित की गयी है वह नये शीर्ष के तहत दी जानी है क्योंकि अब यह एक राज्य नहीं रहा है।

उन्होंने सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक के सुचारू संचालन के लिए उसे 42,781 करोड रुपए की राशि दी जानी है। मनरेगा के तहत रोजगार सृजन को बढाने के लिए राशि का आंवटन पहले से ज्यादा किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह 2019-20 की पूरक अनुदान मांगों का पहला बैच है और इसमें कुल 21,246.16 करोड़ रुपये की अनुदान मांगों में 18,995.51 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से तथा 2,249.37 करोड़ रुपये विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों की बचत या बढ़ी हुई प्राप्तियों से दिया जाना है। इसमें सबसे ज्यादा 8,820.62 करोड़ रुपये पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित कर बनाये गये जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के लिए हैं।

उन्हें प्रति माह 1,178.50 करोड़ रुपये की दर से 5,892.50 करोड़ रुपये 14वें वित्त आयोग के अनुरूप केंद्र से मिलने वाली हिस्सेदारी के मद में, 725 करोड़ रुपये स्थानीय निकाय अनुदान और 139.50 करोड़ रुपये एसडीआरएफ के मद में दिये जाने हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को यह राशि अलग-अलग शीर्ष में 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर दी गयी है। इसके अलावा नवंबर और दिसंबर महीने के लिए करों में हिस्सेदारी के रूप में 2,063.62 करोड़ रुपये दोनों केंद्रशासित प्रदेशों को देने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने उपभोक्ता खपत को लेकर चिंता जताई है लेकिन उनकी यह चिंता निराधार है क्योंकि खपत बढ़  रही है।

सीतारमण ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय को इसरो के हाल के कार्यक्रम को असफल बताने पर तीखी प्रतिक्रिया की और कहा यह वैज्ञानिक संगठन है और उसके कई प्रयोग कई बार आशा के अनुरूप नहीं हो पाते, लेकिन इन्हें असफल बताकर वैज्ञानिकों को दंडित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इसरो अच्छा काम कर रहा है और इसके काम को ज्यादा गति मिले इसलिए उसके विभिन्न कार्यक्रमों के लिए 666 करोड़ रुपये की अनुदान मांगे रखी गयी है। उन्होंने कहा कि केरल को मत्स्य पालन के लिए 291.99 करोड़ रुपये दिए गए हैं तथा उसकी जरूरत के अनुसार उसे और पैसा भी दिया जाएगा। 

इसी तरह से मदुरै में 2018 में एम्स को संस्तुति दी गयी थी और उसके निर्माण का काम चल रहा है। इस परियोजना पर जापान के सहयोग से काम चल रहा है। वित्त मंत्री ने महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए पैसा बढाया गया है और पहले से ज्यादा निधि इस योजना के तहत दी जा रही है। बिचौलियों से इस योजना के लाभार्थियों को बचाने के लिए पुख्ता बंदोबस्त किये गये हैं।

इस योजना के तहत 2019-20 के लिए चार दिसम्बर तक 2,199 करोड़ रुपये दिए गए हैं। वर्ष 2019-20 के दौरान मनरेगा के तहत 6.2 करोड़ लोगों काम दिया गया है और इससे 4.4 करोड़ घरों को लाभ मिला है। इस मद के तहत बड़े स्तर पर रोजगार सृजित किया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए खेती के वास्ते 200 प्रतिशत से ज्यादा का आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा कि खेती में इस दौरान उत्पादन घटा है लेकिन किसानों को उनकी फसल का पूरा लाभ देने की व्यवस्था की गयी है। वित्त मंत्री ने कहा कि रबी फसलों के आधार पर प्याज का बफर बहुत कम है।

प्याज की बढती कीमतों को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं और तुर्की सहित कई अन्य देशों से प्याज का अयात किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके भंडारण की वैज्ञानिक विधि हो सरकार इस दिशा में भी प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भी तेजी से बढ रहा है और पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में शुद्ध एफडीआई 17 अरब डॉलर था जो चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 20.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। सीतारमण ने कहा कि अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए भी आवंटन बढ़ाया गया है। 

 
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