नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस के नेता मुकेश गोयल ने सोमवार को 2020..21 के लिए निकाय के बजट को दिशाहीन और लक्ष्य से परे बताते हुए कहा कि इसमें जनता पर कर लादने के प्रस्ताव कर आयुक्त ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है। गोयल ने आज 2019..20 के संशोधित बजट अनुमान और आगामी वित्त वर्ष के बजट प्रस्तावों पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आयुक्त ने बजट में निगम को आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए आय के स्रोत और नयी योजना का कोई उल्लेख नहीं किया है। बजट में संपत्तिकर दरों में वृद्धि और नया सुधार कर, व्यवसाय, आजीविका, नियोजन पर कर आदि जनता पर थोपने के प्रस्ताव कर आयुक्त ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।
उन्होंने संपत्ति कर दरों में बढ़ोतरी और नये कर लगाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए इन्हें अविलंब वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि बजट तैयार करने का ध्येय आय के सटीक अनुमान लगाकर उसके अनुसार क्षेत्र में मूलभूत नागिरक सुविधाओं की व्यवस्था तथा विकास कार्यों की योजना बनाना होता है, लेकिन अफसोस का विषय है कि निगम के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक पेश किए गए बजट में निगम की आय और व्यय के लक्ष्य का सही आंकलन करने की ओर ध्यान हीं नहीं दिया गया।
गोयल ने कहा कि निगम की जितनी आय है उसकी तुलना में खर्च दुगने से भी अधिक है। निगमायुक्त और सत्तारुढ़ भाजपा की तरफ से निकाय की आर्थिक स्थित कैसे मजबूत हो इस दिशा में कोई ठोस और स्थायी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। आयुक्त की तरफ से प्रस्तुत बजट अनुमानों से ऐसा ही प्रतीत होता है। पिछले एक दशक के बजट अनुमानों को देखा जाये तो उनमें आय काफी बढ़ा.चढ़ाकर दशाई गई किंतु आय आधे से अधिक नहीं हुई और खर्चा हर साल बढ़ता चला गया। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल बजट में आय को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाये तो बात समझ में आती है क्योंकि राजनीतिक दल होने के कारण लोकप्रिय बजट देना उसकी मजबूतरी होता है लेकिन आयुक्त का कागजी आय का बजट पेश करना कतई भी उचित नहीं है।
आयुक्त ने आगामी वित्त वर्ष के लिए 9266.70 लाख रुपए आय का अनुमानित बजट पेश किया है जो दूर की कौड़ी है। वर्ष 2018..19 में निगम की वास्तविक आय केवल 3993.27 लाख रुपए ही रही जबकि अनुमान 8832.73 लाख रुपए का था। इसी प्रकार चालू वित्त वर्ष का बजट आय अनुमान 7673.07 लाख रुपए रखा गया था जबकि पहली छमाही में आय केवल 1706 करोड़ रुपए ही हुई है और लक्ष्य की पूर्ति असंभव देखकर बजट अनुमान को घटाकर 6394.78 लाख रुपए कर दिया गया है। इस राशि को हासिल करना भी मुश्किल नजर आता है। एकीकृत निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे श्री गोयल ने कहा कि अनुमान की तुलना में वास्तविक प्राप्ति बहुत ही कम रहने से निगम कर्ज के बोझ के तले बुरी तरह दब चुका है । विकास कार्य ठप्प पड़े हैँ और कर्मचारियों को समय से वेतन देने के लिए भी संसाधन नहीं है।