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सिंगल यूज प्लास्टिक का स्थान ले सकता है कागज, पेपरेक्स में तैयार होगा खाका

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 1 2019 1:54PM | Updated Date: Dec 1 2019 1:55PM
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नई दिल्ली। पल्प, पेपर एवं अन्य संबंधित उद्योगों के चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी पेपरेक्स 2019 का राजधानी दिल्ली में तीन दिसंबर से आयोजन किया जा रहा है जिसमें एकल उपयोग प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर कागज के उपयोग के बारे में खाका तैयार किया जायेगा। पल्प और पेपर के क्षेत्र में एशिया के इस सबसे बड़े सम्मेलन का आयोजन प्रगति मैदान में किया जाएगा जो छह दिसंबर तक चलेगा। इसका आयोजन पेपर इंडस्ट्री की संस्था इंडियन एग्रो एंड रीसाइकिल्ड पेपर मिल्स एसोसिएशन (आईएआरपीएमए) के जर्नल इनपेपर इंटरनेशनल द्वारा किया जा रहा है।
 
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।  आईएआरपीएमए के महासचिव पी जी मुकुंदन ने कहा कि पेपरेक्स ने भारत के 70000 करोड़ रुपये के कागज उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह एकमात्र ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां भारतीय कागज उद्योग के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम टेक्नोलॉजी की जानकारी एक ही मंच पर उपलब्ध होती है।
 
एकल उपयोग प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने के मद्देनजर पेपरेक्स 2019 में कागज के ईको-फ्रेंडली विकल्प पर विमर्श किया जाएगा। इंडियन पेपर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) के अध्यक्ष ए एस मेहता और इंडियन न्यूजप्रिंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईएनएमए) के अध्यक्ष पी एस पटवारी क्रमश: पेपर एवं न्यूजप्रिंट इंडस्ट्री की स्टेटस रिपोर्ट जारी करेंगे। मुकुंदन ने कहा कि नई जीवनशैली और ईको-फ्रेंडली पैकेजिंग की जरूरतों को देखते हुए क्राफ्ट एवं पेपर बोर्ड, राइटिंग एवं प्रिंटिंग पेपर, टिश्यू आदि के क्षेत्र में विकास की बड़ी संभावनाएं हैं।
 
इसलिए भारतीय उद्योग को अपनी क्षमता बढ़ाने एवं इस अवसर को भुनाने के लिए पर्याप्त कच्चे माल की आपूर्ति और नवीनतम टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी। तीन दिवसीय सम्मेलन में दुनियाभर की नवीनतम एवं किफायती टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन किया जाएगा। कागज उद्योग में विकास की व्यापक संभावनाएं हैं। ग्राहक अब नॉन-बायोडिग्रेडेबल विकल्पों के बजाय कागज को प्राथमिकता देने लगे हैं, ताकि एक उपयोग प्लास्टिक के बजाय कागज का विकल्प सुगम रहे। ग्राहकों के इस बदलते रुख के कारण कागज की मांग 2025 तक मौजूदा 1.85 करोड़ टन से बढ़कर 2.5 करोड़ टन होने का अनुमान है।
    
    
 
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