मुम्बई। शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी के साथ रास्ते जुदा हो जाने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दो ‘भाइयों’ जैसे हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना के शुक्रवार के संपादकीय में कहा गया है, ‘‘ शिव सेना और भाजपा के महाराष्ट्र की राजनीति में रास्ते अलग-अलग हो गये हैं लेकिन मोदी-ठाकरे के रिश्ते ‘भाइयों’ जैसे हैं। प्रधानमंत्री की यह जिम्मेदारी है वह अपने छोटे भाई जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं, के साथ सामंजस्य बैठायें।’’ संपादकीय में कहा गया है कि प्रधानमंत्री पूरे देश के हैं, वह किसी एक दल के नहीं हैं। यह सिद्धांत यदि माना जाता है तो भिन्न-भिन्न विचारधारायें होने के बावजूद राज्य सरकार को कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। ’’
संपादकीय में जनता की भावनाओं की कद्र करने का आग्रह करते हुए कहा गया है कि इसी के चलते यहां राज्य सरकार का गठन किया गया है और केन्द्र से नयी सरकार को किसी भी तरीके अस्थिर न किया जाना सुनिश्चित करने की अपील की गयी है। इसमें उद्धव ठाकरे नीत महा विकास अघाडी सरकार के समक्ष खड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस तो गये लेकिन वह राज्य को करीब पांच लाख करोड़ रुपये के भारी कर्ज तले दबा कर गये हैं। संपादकीय में राज्य की संकटपूर्ण स्थिति की ओर इंगित करते हुए कहा गया है कि नयी सरकार को जन हित के अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए सतर्क होकर चलना होगा। राष्ट्रीय खजाने में सर्वाधिक योगदान मुंबई का होता है, यहां अन्य शहरों की तुलना में सबसे अधिक लोगों को रोजगार मिलता है जिनमें पूरे देश के लोग शामिल हैं।
संपादकीय में कहा गया है कि कई पीढ़ियों से महाराष्ट्र के सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देते आये हैं। इसी के साथ इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि राज्य के साथ अब और अन्याय न हो और ‘दिल्ली दरबार’ की कतार में महाराष्ट्र की स्थिति चौथे-पांचवें नंबर की न हो और राज्य का दर्जा समानता का रहे। संपादकीय में केन्द्र को सतर्क देते हुए कहा गया है, ‘‘ सेना का भगवा ध्वज मंत्रालय और विधान भवन की चोटी पर लहराने लगा है। बदले की भावना अब न रखिए, यह आपको भी नुकसान पहुंचायेगी। सुराज्य का पर्व अभी-अभी शुरू हुआ है? क्या देख रहे हैं आप, राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करें।