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डिजिटलीकरण से जीडीपी में एमएसएमई की तीन गुना बढ़ सकती भागीदारी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 29 2019 1:22AM | Updated Date: Nov 29 2019 1:22AM
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नई दिल्ली। देश में तेजी से इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग के बावजूद अभी भी बुत से एमएसएमई हैं जो प्रौद्योगिकी का उपयोग नहीं कर रहे हैं और यदि वे डिजिटलीकरण का पूर्ण उपयोग करने लगेंगे तो सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई की भागीदारी तीन गुना बढ़ सकती है। इंडिया एसएमई फोरम के अध्यक्ष विनोद कुमार ने गुरूवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि देश में डिजिटल बदलाव का जो विस्तार हो रहा है वह जोरदार है तथा एमएसएमई का ज्यादा डिजिटाइजेशन हुआ तो यह संभावना है कि जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान तीन गुना बढ़ जाए। इस समय यह आठ प्रतिशत है। 

उन्होंने कहा कि इससे भारत के बढ़ते कामगारों के लिए रोजगार की संभावना बढ़ेगी और संपूर्ण आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। भारत का एसएमई फोरम दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों और समाधानों को स्वीकार करने तथा उन्हें भारत के सभी प्रगतिशील एसएमई तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए हम एमएसएमई मंत्रालय तथा इंटेल की सहायता के आभारी हैं। हमने अपनी यात्रा की शुरुआत गुजरात से की है और अच्छी तरह जानते हैं कि यहां के एमएसएमई बेहद उदार हैं और मुनाफे तथा विकास में वृद्धि के लिए नई टेक्नालॉजी, समाधान और साधन अपनाते हैं।

वार्षिक एमएसएमई की अध्ययन रिपार्ट के लिए फोरम द्वारा 19 राज्यों में किए गए सर्वे में पता चला कि इसमें भाग लेने वाले कुल 1,29,537 एमएसएमई में से 34 प्रतिशत अपने कर्मचारियों, ग्राहकों और आपूर्तिकर्ताओं से संचार के लिए डिजिटल तरीकों का उपयोग कर रहे हैं जबकि सिर्फ 7 फीसदी ने पूरी तरह डिजिटल टेक्नालॉजी या एसएएएस समाधान को अपनाया है। 50 प्रतिशत से ज्यादा एमएसएमई ने कई तरह के लाभ पर रोशनी डाली है। इनमें मुनाफा बढ़ना, परिचालन कुसलता और ग्राहक से बेहतर संबंध शामिल है। हालांकि 70 फीसदी ने कहा कि इसे बड़े पैमाने पर अपनाने के मार्ग में मुख्य बाधा जानकारी नहीं होना है। 

इसमें कहा गया है कि इंटरनेट की पहुंच उन क्षेत्रों में बढ़ी है जहां एमएसएमई सबसे ज्यादा है। इन कारोबारों में से कई अभी भी अनौपचारिक ढंग से चल रहे हैं और पंजीकृत नहीं हैं। इसलिए, पंजीकृत एमएसएमई को पेश किए जाने वाले नवीनतम तकनीक तथा सॉफ्टवेयर समाधानों का उपयोग नहीं कर सकते हैं। हालांकि, नीति और नियामक बदलावों जैसे जीएसटी और नोटबंदी से कई एमएसएमई को मजबूरन डिजिटल होना पड़ा और खुद का पंजीकरण कराना पड़ा। उद्योगों और उद्यमियों के लिए जिला स्तर पर तकनीकी सहायता और सरकार समर्थित केंद्र अब भी न होने से एमएसएमई के सशक्तिकरण के लिए काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है। 

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