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गांधी का ‘हे राम’ ‘जय श्री राम’ नहीं था : युवा लेखक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 13 2019 10:37AM | Updated Date: Oct 13 2019 10:38AM
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नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी गौ रक्षा के समर्थक थे लेकिन गौ रक्षा के नाम पर इंसान की हत्या किए जाने के विरोधी थे। उनके ‘हे राम’ और ‘जय श्रीराम’ में बहुत फर्क है। वह अल्पसंख्यक समुदाय  को लेकर  बहुत चिंतित रहते थे चाहे वे भारत के मुसलमान हो या पाकिस्तान के हिन्दू। उन्होंने धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नही किया। यह बात शनिवार को यहां  गांधी जी की 150 वीं जयन्ती पर  समाप्त दो दिवसीय युवा लेखक सम्मेलन में देश के कोने कोने से आये युवा लेखकों ने कही।
 
रजा फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में करीब 50 लेखकों ने भाग लिया। यह पहला मौका है जब गांधी पर युवा लेखकों का  इतना बड़ा  सम्मेलन देश मे आयोजित किया गया। चार सत्रों में आयोजित सम्मेललन में गांधी की 1909 में लिखी गयी पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’, ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ और ‘प्रार्थना सभा’ पर गंभीर विचार विमर्श हुआ। इसके अलावा आज के समय मे गांधी पर भी एक सत्र में चर्चा हुई।
 
सम्मेलन में भारत विभाजन के लिए गांधी को जिम्मेदार बताए जाने की तीखी आलोचना गई और आजादी मिलते ही गांधी को भुला देने के प्रयासों की निंदा भी की गई।सम्मेलन गांधी की प्रासंगिकता और आजादी को लेकर उनके स्वप्नों पर चर्चा हुई और सभी लेखकों  ने माना कि देश को वास्तविक आजादी अभी तक नही मिली जिसके लिए गांधी जी शहीद हो गए। दिल्ली के अलावा  कोलकत्ता, बेंगलुरु, रांची, पटना, वाराणसी, मुम्बई आदि शहरों के लेखकों के अलावा कुछ विदेशी पत्रकार और  लेखक भी इसमें शामिल हुए और अपने विचार व्यक्त किये। 
 
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