नई दिल्ली। गोबर के मिश्रण से उच्चकोटि की हाइड्रोजन गैस बनती है। आवश्यक परिष्करण कर इसका इस्तेमाल रॉकेट के प्रोपेलर में ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) आदित्यपुर (झारखंड) में इस पर शोध चल रहा है। जमशेदपुर के नज़दीक आदित्यपुर में एनआइटी की सहायक प्रोफेसर दुलारी हेंब्रम भी कई वर्षों से इस पर अध्ययन कर रही हैं। रिसर्च के शुरुआती दौर में जो नतीजे आये उसमें यह दावा किया गया है कि ईंधन के रूप में उपयोग होने वाली हाइड्रोजन गैस के उत्पादन में प्रति यूनिट सात रुपये का खर्च आ रहा है। अगर सरकार इसे प्रोत्साहित करती है तो बड़े पैमाने पर उत्पादन हो सकता है, इससे देश में बिजली के लिए खपत बढ़ाकर इस समस्या को दूर किया जा सकता है। यही नहीं, इसे रॉकेट में उपयोग होने वाले ईंधन के सस्ते विकल्प के रूप में भी विकसित किया जा सकता है, आज ज़रूरत है सरकार इस प्रोजेक्ट पर ध्यान दे तो ये ऊर्जा का बड़ा विकल्प बन सकता है।