नई दिल्ली। पूर्वोत्तर के असम, मेघालय और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी अब सामान को जलमार्ग के जरिए पहुंचाया जा सकेगा। इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि परिवहन व्यय में भी उल्लेखनीय कमी आएगी। इसके लिए भारत और बांग्लादेश के बीच जलमार्ग समझौते का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार हो गया है। केंद्रीय नौवहन मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोमवार को बताया कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की बीते दिनों हुई भारत यात्रा के दौरान एसओपी तय हुआ है। इसके मुताबिक जलमार्ग, रेलमार्ग, सड़क मार्ग या मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सेवा के जरिये कुल आठ मार्ग चिन्हित किए गए हैं। इनमें जलमार्ग के चार रूट शामिल हैं।
पहला मार्ग चटगांव के मंगला बंदरगाह से अखुरा होते हुए त्रिपुरा के अगरतला तक का है। दूसरा, चटगांव मंगला बंदरगाह से तमाबिल होते हुए मेघालय के दावकी तक का, तीसरा मार्ग मंगला बंदरगाह से शिवाला होते हुए असम के सुतारकांडी तक और चौथा मार्ग मंगला बंदरगाह से बीबी बाजार के रास्ते त्रिपुरा के श्रीमंतपुर तक का है।
बांग्लादेश के रास्ते सस्ता परिवहन
उल्लेखनीय है कि यदि कोलकाता से बांग्लादेश के चटगांव होते हुए जलमार्ग के जरिये त्रिपुरा तक माल भेजना हो तो यह सड़क या रेल मार्ग के मुकाबले काफी सस्ता पड़ेगा। सड़क या रेल मार्ग में कोलकाता से सिलीगुड़ी और गुवाहाटी होते हुए सामान अगरतला जाएगा जबकि जलमार्ग से चटगांव होते हुए। चटगांव से त्रिपुरा का सबरूम महज 75 किलोमीटर दूर है और सबरूम से अगरतला 135 किलोमीटर दूर है।