नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केरल में कोच्चि के मराडु में पांच अपार्टमेंट परिसरों को ढहाये जाने के संबंध में गत आठ मई के उसके आदेश पर अमल नहीं किये जाने को लेकर सोमवार को राज्य सरकार से गहरी नाराजगी जतायी तथा मुख्य सचिव को चेतावनी दी कि तटीय नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) की अधिसूचना के तहत प्रतिबंधित इलाकों में अनधिकृत निर्माण के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जायेगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति रवीन्द्र भट्ट की पीठ के समक्ष मुख्य सचिव टॉम जोस व्यक्तिगत रूप से आज पेश हुए थे। न्यायमूर्ति मिश्रा ने केरल सरकार के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा,‘‘हम वास्तव में हतप्रभ हैं। राज्य सरकार ने अवैध निर्माण के खिलाफ क्या कदम उठाये हैं? तटीय इलाकों में यदि कोई आपदा आती है, तो सबसे पहले इन इमारतों में रहने वाले परिवार प्रभावित होंगे। (इसके लिए) आपके कार्यालय को जिम्मेदार माना जायेगा।
’’ न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘आपने जिस तरीके से हलफनामा दायर किया है, उससे हम आपका इरादा भांप सकते हैं। आप स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। आपका रवैया आदेश की अवहेलना करने वाला है।’’ न्यायालय ने केरल में हाल की बाढ़ की त्रासदी का उल्लेख किया और कहा कि किसी भी तरह का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। न्यायालय मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को करेगा। गत छह सितम्बर को पीठ ने राज्य सरकार को आदेश पर अमल से संबंधित रिपोर्ट पेश करने के लिए 20 सितम्बर तक का समय दिया था। न्यायालय ने कहा था कि यदि राज्य सरकार यह रिपोर्ट पेश करने में असफल रहती है तो मुख्य सचिव को 23 सितम्बर को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होना होगा।