नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने गलत सूचना फैलाने और जम्मू-कश्मीर राज्य की पुनर्संरचना का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के प्रयास की निंदा करते हुए कहा है कि यह पूर्णत: प्रशासनिक मामला है और भारत सरकार के दायरे में है। नायडू एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ तीन बाल्टिक देशों -लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया की यात्रा के बाद आज तड़के दिल्ली लौट आए। तीन बाल्टिक देशों की यात्रा के अंतिम दिन उपराष्ट्रपति ने एस्टोनिया राजनयिक मिशनों के 60 प्रमुखों तथा एस्टोनिया के विदेश मंत्री उर्मस रिनसालू को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप या मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का उद्देश्य राज्य की शासन वव्यवस्था में सुधार करना और समावेशी तथा समान विकास को बढ़ावा देना है।
इस यात्रा के दौरान नायडू ने तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ व्यापक बातचीत की और व्यापार मंचों तथा प्रवासी भारतीयों को सम्बोधित किया। तीनों बाल्टिक देशों ने उपराष्ट्रपति को भरोसा दिलाया कि विविध बहुपक्षीय मंचों पर भारत के साथ मिलकर कार्य करेंगे तथा उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प व्यक्त किया। नायडू ने अपनी यात्रा की शुरूआत लिथुआनिया से की। अपनी यात्रा के प्रथम चरण में उन्होंने लिथुआनिया के राष्ट्रपति गीतानस नोसदा से राजधानी विलनियस में मुलाकात की। उन्होंने लिथुआनिया के राष्ट्रपति को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने संबंधी भारत सरकार के हाल के निर्णय की जानकारी दी। उपराष्ट्रपति ने पुलवामा हमले की निंदा करने के लिए लिथुआनिया सरकार का आभार प्रकट किया।