नई दिल्ली। प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर ने सभी धर्मों में संकीर्णता और कट्टरता पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उसे उदार और मानवीय तथा समावेशी बनाये जाने पर जोर दिया है। जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर रही थापर ने शुक्रवार को तार सप्तक के यशस्वी कवि प्रसिद्ध आलोचक, रंग समीक्षक एवं संस्कृति कर्मी नेमिचन्द्र जैन की जन्मशती के शुभारम्भ के अवसर पर उद्घाटन भाषण देते हुए यह बात कही। समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी ने की। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के आगरा में 16 अगस्त 1919 को जन्मे नेमिचन्द्र जैन की जन्मशती आज से शुरू हो रही है जो देश के कई शहरों में मनाई जायेगी। थापर ने आदिकालीन भारत उत्तर भारत में धर्म एवं समाज में अनीता की उपस्थिति विषय पर नेमि स्मृति व्याख्यान देते हुए आदिकालीन भारत में धर्मों के खुलेपन की चर्चा की।
उन्होंने कहा कि पहले हमारे धर्म अन्य धर्मों के प्रति खुले हुए थे और वे असहमतियों को धर्म से बाहर नहीं अन्दर ही जगह देते थे। कई विदेशी विश्वविद्यालयों में इतिहास की अतिथि प्रोफेसर रहीं थापर ने कहा कि यह स्थिति इस समय इतनी बदल गयी है कि सभी धर्म सख्त एवं अनुदार हो गए है जबकि उन्हें समावेशी होना चाहिए। उन्हें अन्य रूपों को अपने भीतर समाहित करने की प्रवृति संपत हो गयी हैं। इससे पहले थापर ने नेमि रचनावली के प्रथम खंड और नटरंग पत्रिका के नेमि अंक का लोकार्पण किया। इस रचनावली का सम्पादन नन्द किशोर आचार्य और ज्योतिष जोशी ने किया है। समारोह में ये दोनों लेखक मौजूद थे, समारोह का संचालन प्रसिद्ध संस्कृति कर्मी एवं कवि तथा नेमि जी के दामाद अशोक वाजपेयी ने किया।
नटरंग के इस अंक में मृणाल पाण्डेय, अनुराधा कपूर, जयदेव तनेजा, एम. के रैना, देवेन्द्र राज, अंकुर मृदुला गर्ग और बंसी कॉल के संस्मरण हैं। तीन दिवसीय नेमि शती के तहत समारोह में शनिवार को मधुप मुदगल का गायन होगा जबकि रविवार को उनपर एक नाटक का मंचन भी होगा। नेमि जन्मशती समारोह पटना इलाहाबाद उज्जैन भोपाल आदि शहरों में मनाया जायेगा जिसमें इप्टा और भारत भवन एवं अन्या संस्थाएं आयोजक होंगी। इसके अलावा हर माह की 16 तारीख को नेमि जी की स्मृति में कविता उपन्यास रंगमंच आलोचना आदि पर कार्यक्रम साल भर होंगे।