नई दिल्ली। अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मलिकाना हक को लेकर मंगलवार को राम लला विराजमान के अधिवक्ता ने विभिन्न दस्तावेज उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय खंड़पीठ को सौंप दिए। आज इस मामले की सुनवाई का पांचवा दिन था और इसमें मुस्लिम पक्ष की पैरवी डॉ राजीव धवन ने की। इस पांच सदस्यीय खंड़पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति, एस के बोबडे, डी वाई चंद्रचूड और एस ए नजीर शामिल हैं। न्यायालय इस मामले में 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें विवादित स्थल को तीन पक्षों को देने की बात कही गयी थी।
राम लला विराजमान के वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने अपने तर्क में कहा है कि इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि सदियों से इस स्थान पर हिन्दुओं का मलिकाना हक था और वे यहां पूजा-अर्चना करते रहे हैं। उन्होंने एक इतिहासकार के 1858 के उस दस्तावेज का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि यहां 100 वर्षों से हिन्दू पूजा करते आ रहे थे। इस मामले में सुन्नी बोर्ड के वकील डॉ धवन ने जोरदार विरोध करते हुए कहा कि हिन्दू पक्ष ने अनेक बार इसमें दावे किए हैं लेकिन कोई भी दावा पेश नहीं किया है और 1858 के जिस साक्ष्य की बात कही गयी है, वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया था। इस मामले में कल भी दावों और साक्ष्यों को पेश किया जाएगा।